चिराग पासवान ने चाचा को लेकर चुनाव आयोग को लिखी चिट्ठी, कही ये बात
पटना. लोजपा (LJP) में पद और प्रतिष्ठा को लेकर चिराग पासवान और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस (MP Pashupati Kumar Paras) के बीच खींचतान का दौर जारी है. वहीं, राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में सांसद पशुपति को निर्विरोध अध्यक्ष चुने जाने पर भतीजे ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर अपनी बात रखी है. चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने चुनाव आयोग को कहा कि कुछ लोगों के निर्णय और बैठकों को न मानें. एलजेपी चुनाव आयोग को अपनी गतिविधियों के बारे में समय-समय परअवगत कराती रही है.
इसके अलावा चिराग पासवान ने पत्र में लिखा कि चुनाव आयोग में अगर किसी की तरफ से एलजेपी पर दावा किया जाता है, तो चुनाव आयोग प्रथम दृष्टया दावे को खारिज करे और एलजेपी (चिराग पासवान) को अपना पक्ष रखने का मौका दे. यही नहीं, चुनाव आयोग को चिराग का यह दूसरा पत्र है. इसमें उन्होंने 16 जून के उस फैसले का भी जिक्र है जिसके तहत पांच सांसदों को पार्टी से बर्खास्त किया गया है.
पशुपति कुमार पारस खेमे ने नहीं किया दावा
बता दें कि चिराग पासवान अब तक दो बार चुनाव आयोग को पत्र लिख चुके हैं, लेकिन उनके चाचा और सांसद पशुपति कुमार पारस खेमे की तरफ से पार्टी पर दावे का कोई पत्र नहीं लिखा गया है. अगर दावा किया जाता है तो फिर चुनाव आयोग आगे की कार्रवाई करेगा.
भतीजा बनाम चाचा
इससे पहले चिराग पासवान ने कहा कि मेरे चाचा पशुपति ने मेरे पिताजी रामविलास पासवान के साथ मिलकर पार्टी बनाई थी. सदन का नेता चुनने का अधिकार केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को है. उन्होंने जो गतिविधियां की हैं वह पार्टी के संविधान के खिलाफ हैं. वे पार्टी का गलत तरह से इस्तेमाल कर रहे हैं.
इसके साथ चिराग पासवान ने कहा कि करीब 75 केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड में से 9 लोगों ने मिलकर चाचा को निर्विरोध अध्यक्ष चुना है. जबकि ये सभी सस्पेंड चल रहे हैं. अध्यक्ष का चयन अवैध है. बाकी लोग हमारे साथ हैं. वहीं, पशुपति पारस ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद कहा था कि जब भतीजा तानाशाह हो जाए तो चाचा मजबूरन क्या करेगा. पार्टी व्यवस्था में ये कहीं नहीं है कि कोई व्यक्ति आजीवन राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. हमारी पार्टी का जो संविधान है, उसमें प्रत्येक 2-3 वर्ष में अध्यक्ष का चुनाव होना है. इसके साथ उन्होंने कहा कि पार्टी के हमारे कार्यकर्ताओं को मैं विश्वास दिलाता हूं कि लोजपा के अंदर कोई मतभेद नहीं है, कोई विरोध नहीं है.