Chirag Paswan :Modi 3.0 के 4 महीने में ही ; मंत्री पद को लात मारने से पहले,एक मिनट भी नहीं सोचूंगा”

Chirag Paswan , जिन्हें अक्सर ‘मोदी का हनुमान’ कहा जाता है, आजकल कुछ ऐसे बयान दे रहे हैं जो संकेत दे रहे हैं कि वे किसी भी वक्त मोदी सरकार से किनारा कर सकते हैं।

Chirag Paswan , जिन्हें अक्सर ‘मोदी का हनुमान’ कहा जाता है, आजकल कुछ ऐसे बयान दे रहे हैं जो संकेत दे रहे हैं कि Chirag Paswan किसी भी वक्त मोदी सरकार से किनारा कर सकते हैं। हाल ही में उनका एक बयान सुर्खियों में रहा, जिसमें Chirag Paswan कहा कि “एक मिनट भी नहीं सोचूंगा मंत्री पद को लात मारने से पहले।” यह बयान सुनकर ऐसा लगता है मानो Chirag Paswan के अंदर कोई नया राजनीतिक जोश आ गया है, जो अब खुलकर एनडीए के खिलाफ बोलने को तैयार है।

क्या हुआ ‘मोदी का हनुमान’?

बिहार की राजनीति में चिराग पासवान एक समय में मोदी सरकार के सबसे बड़े समर्थक माने जाते थे। चुनावी मंचों पर उनकी निष्ठा और जोश देखते ही बनती थी। चिराग अक्सर कहते थे, “मैं मोदी का हनुमान हूं।” लेकिन अब ऐसा क्या हो गया कि वे मंत्री पद को लात मारने की बात करने लगे हैं? क्या मोदी सरकार के साथ उनका मोहभंग हो गया है? या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है?

बयानबाजी का नया दौर

चिराग पासवान के हालिया बयानों को देखें तो लगता है कि वे अब खुलकर मोदी सरकार से असंतुष्ट हैं। उन्होंने एक नहीं, कई बार यह संकेत दिया है कि अगर उन्हें सही मौका मिला तो वे एनडीए से अलग हो सकते हैं। उनके अनुसार, मंत्री पद उनके लिए कोई महत्व नहीं रखता और वे इसे कभी भी छोड़ सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि चिराग को अचानक से ऐसी ‘त्याग’ वाली बातें कहने की जरूरत क्यों पड़ी?

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क्या चिराग को अब ‘मंत्री पद’ से मोह नहीं?

मंत्री पद से लात मारने की धमकी देना एक बात है, और वाकई में ऐसा करना दूसरी। चिराग पासवान के इस बयान को सुनकर तो यही लगता है कि वे अब किसी बड़े राजनीतिक कदम की तैयारी कर रहे हैं। हो सकता है कि उन्हें लगता हो कि एनडीए में रहकर उनका राजनीतिक करियर ठहर गया है और अब वे किसी नई राह की तलाश में हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वाकई चिराग पासवान एनडीए छोड़ने की हिम्मत दिखाएंगे, या यह सिर्फ एक शिगूफा है?

‘त्याग’ का नया रंग: चिराग के बयान का मतलब?

चिराग के बयानों से यह तो साफ है कि वे अब एनडीए के प्रति उतने वफादार नहीं रहे जितने पहले थे। एक ओर जहां मोदी सरकार के अन्य नेता उनकी तारीफों के पुल बांधते नहीं थकते, वहीं चिराग का यह रुख काफी चौंकाने वाला है। चिराग पासवान ने जिस तरह से ‘मंत्री पद को लात मारने’ की बात कही है, उससे यह भी आभास होता है कि वे अब अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर एक नई दिशा में सोच रहे हैं।

क्या चिराग का राजनीतिक ‘ध्यान’ बदल रहा है?

चिराग पासवान का यह नया रूप देखकर तो यही लगता है कि वे अब भाजपा से अलग अपनी राजनीतिक पहचान बनाने की सोच रहे हैं। लेकिन क्या ऐसा करना उनके लिए सही कदम होगा? मोदी सरकार में रहकर उन्होंने जिस तरह से अपना राजनीतिक कद बढ़ाया, क्या वे उसे यूं ही छोड़ देंगे? या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है, जिससे वे अपने लिए और बड़ी सौदेबाजी की जगह बना रहे हैं?

चिराग का ‘त्याग’ या कोई राजनीतिक दांव?

चिराग पासवान के बयान को अगर गहराई से देखा जाए तो लगता है कि यह महज एक राजनीतिक दांव हो सकता है। मंत्री पद से ‘लात मारने’ जैसी बातें आमतौर पर तब कही जाती हैं जब नेता किसी बड़े पद की चाह रखते हैं या फिर खुद को ज्यादा महत्वपूर्ण साबित करना चाहते हैं। हो सकता है कि चिराग पासवान भी यही कर रहे हों। वे जानते हैं कि एनडीए में रहकर उन्हें ज्यादा फायदा नहीं हो रहा, इसलिए वे ऐसी बातें कहकर अपनी राजनीतिक ताकत दिखाना चाहते हैं।

चिराग का राजनीतिक ‘त्याग’ एक मजाक?

कई राजनीतिक विशेषज्ञ चिराग पासवान के इस बयान को मजाक के तौर पर भी देख रहे हैं। आखिरकार, राजनीति में ‘त्याग’ की बातें तो कई नेताओं ने की हैं, लेकिन जब मौका आया तो वे अपने पद से चिपके रहे। चिराग पासवान भी शायद यही कर रहे हैं। वे जानते हैं कि मंत्री पद छोड़ने का असली मतलब क्या होता है, इसलिए हो सकता है कि यह सिर्फ एक सस्ता राजनीतिक स्टंट हो।

चिराग और मोदी: रिश्ते में खटास या नई राजनीति?

अब सवाल यह है कि चिराग पासवान और नरेंद्र मोदी के बीच क्या वाकई कोई खटास आ गई है? चिराग पासवान का मोदी के प्रति यह रुख नया जरूर है, लेकिन क्या वे वाकई इतने नाराज हैं कि वे एनडीए छोड़ने का मन बना चुके हैं? या फिर यह सब एक राजनीतिक चाल है, जिससे चिराग पासवान खुद को चर्चा में बनाए रखना चाहते हैं?

बिहार की राजनीति और चिराग का भविष्य

बिहार की राजनीति में चिराग पासवान का कद किसी से छिपा नहीं है। उनके पिता रामविलास पासवान ने जो विरासत छोड़ी, उसे चिराग अब आगे बढ़ा रहे हैं। लेकिन क्या चिराग का एनडीए से अलग होना उनकी राजनीतिक यात्रा के लिए सही कदम होगा? बिहार की राजनीति में एनडीए की मजबूत पकड़ को देखते हुए, अगर चिराग एनडीए से अलग होते हैं, तो उनका राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ सकता है।

सत्ता की राजनीति या सच्चा ‘त्याग’?

चिराग पासवान के हालिया बयानों को लेकर राजनीतिक हलकों में काफी चर्चा है। कई लोग इसे सत्ता की राजनीति का हिस्सा मान रहे हैं, जबकि कुछ लोग इसे चिराग का सच्चा ‘त्याग’ मान रहे हैं। लेकिन जो भी हो, चिराग पासवान ने अपने बयानों से यह साबित कर दिया है कि वे अब मोदी सरकार से पूरी तरह संतुष्ट नहीं हैं।

आखिरकार, चिराग पासवान क्या चाहते हैं?

अब सवाल यह उठता है कि चिराग पासवान का असली मकसद क्या है? क्या वे वाकई एनडीए छोड़ने की सोच रहे हैं, या फिर यह सब सिर्फ एक राजनीतिक चाल है? चिराग के बयानों को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि वे क्या करने जा रहे हैं, लेकिन इतना जरूर है कि उनका यह नया रूप बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ ला सकता है।

चिराग पासवान का ‘मंत्री पद को लात मारने’ का बयान सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक संकेत है कि वे अब किसी बड़े राजनीतिक कदम की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या चिराग वाकई एनडीए छोड़ते हैं या फिर यह सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट है।

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