चिराग और तेजस्वी “नहीं है दोस्त”, फिर भी आए करीब ,जानिए क्यों
बिहार कि राजनीति भी समय के साथ बदलती जा रही है। पहले जिस बिहार पर लालू यादव, शरद यादव और राम विलास पासवान का दबदबा रहता था आज बिहार उनके बेटे के कंधो पर धीरे धीरे आ रहा है। लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव कि राजनीति में धमाकेदार एंट्री हुई और दूसरी ओर चिराग पासवान कि शुरुआत भी काफी हद तक अच्छी ही रही है। चिराग पासवान जो कि अपने पिता कि बनाई हुई पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी कि कमान संभाले हुए है वहीं तेजस्वी यादव भी अपने पिता कि गैरमौजूदगी में राष्ट्रीय जनता दल कि कमान संभाले हुए है और बिहार में सरकार बनाने कि पूरी कोशिश कर रहे है … वहीं की 243 सदस्यीय विधानसभा के लिए 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को मतदान होना है. इसके नतीजे 10 नवंबर को घोषित किए जाएंगे. जाहिर तौर पर सभी सियासी दल जनता को लुभाने के लिए अपने सभी दांव आजमा रहे हैं. हालांकि चुनाव मतदान और चुनाव परिणाम से पहले कई तरह की राजनीतिक संभावानएं भी जन्म लेती दिख रही हैं. पहले लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष चिराग पासवान द्वारा यह कहना कि 10 नवंबर को बिहार में लोजपा-भाजपा की सरकार बनेगी, इस पर काफी चर्चा हुई. बीजेपी नेताओं को लगातार ऐसे कयासों को लेकर सफाई देनी पड़ी. यहां तक कि स्थिति स्पष्ट करने के लिए भाजपा के वरिष्ठ नेता व गृह मंत्री अमित शाह को भी सामने आना पड़ा. लेकिन अब बिहार के सियासी घमासान में एक और बहस छिड़ गई है और वह है तेजस्वी यादव और चिराग पासवान कि दोस्ती की। दोनों ही युवा नेता है और अपने पिता कि पार्टी को संभाल रहे हैं… लेकिन आपको बता दें कि ये दोनों नी नेता राजनीति में नहीं आना चाह रहे थे लेकिन इनकी राहें समय कि साथ बदल गई…
तेजस्वी यादव जहां क्रिकेटर बनना चाहते थे तो वहीं चिराग पासवान एक्टिंग करना चाहते थे। 26 साल के तेजस्वी पॉलिटिक्स में आने से पहले क्रिकेट खेलते थे। घरेलू क्रिकेट में वह झारखंड टीम में शामिल थे। तेजस्वी आईपीएल की दिल्ली डेयरडेविल्स टीम के सदस्य भी रहे हैं। वह 2008, 2009, 2011 और 2012 में आईपीएल की दिल्ली टीम के सदस्य थे, लेकिन 2014 में उनकी किस्मत ने ऐसा टर्न लिया कि वह सीधे पॉलिटिक्स की पिच पर आ पहुंचे।
दूसरी ओर 31 अक्तूबर 1982 को जन्मे चिराग पिता की विरासत को आगे ले जाना चाहते हैं हालांकि चिराग का पहला प्यार एक्टिंग है। उन्होंने 2011 में इसकी कोशिश भी की थी। कंगना रनौत के साथ उनकी फिल्म “मिले ना मिले हम” रिलीज हुई। इस फिल्म का निर्देशन तनवीर खान ने किया था। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप हुई मगर पासवान के बेटे का नाम जुड़ा होने की वजह से इसकी खूब चर्चा हुई। हालांकि चर्चाओं का कोई फायदा नहीं हुआ और चिराग को दूसरी फिल्में नहीं मिलीं। फिल्मों में आने से पहले चिराग ने कंप्यूटर इंजीनियरिंग में बीटेक भी किया। फिल्मों में करियर बनता न देख चिराग पिता के साथ एलजेपी की राजनीति करने लगे। कहते हैं कि ये चिराग ही थे जिनकी वजह से 2014 से पहले एलजेपी, नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए का हिस्सा बना। चिराग को पार्टी ने जमुई लोकसभा सीट से मैदान में उतारा। पहले चुनाव में चिराग ने आरजेडी उम्मीदवार को करीब 85 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त दी। उस चुनाव के दौरा बिहार में चिराग पार्टी और एनडीए का सेलिब्रिटी चेहरा बन गए…
लेकिन अब चिराग पासवान और तेजस्वी यादव कि दोस्ती कि बात होने लगी है। दरअसल नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मीडिया से बात करते हुए कहा, चिराग पासवान के साथ नीतीश कुमार ने जो किया वह अच्छा नहीं था. उनको इस समय अपने पिता की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा है, लेकिन रामविलास पासवान हमारे बीच नहीं हैं और हम इससे दुखी हैं. जिस तरह से नीतीश कुमार ने व्यवहार किया, वह अन्याय था. तेजस्वी यादव के चिराग पासवान पर दिये गए बयान के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. दरअसल अक्टूबर में जब रामविलास पासवान का निधन हुआ, तो तेजस्वी के पिता लालू यादव और मां राबड़ी देवी ने कहा कि रामविलास पासवान के निधन से लालू परिवार भी शोक में था. हालांकि नीतीश कुमार ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की, लेकिन यह भी सत्य है कि चिराग पासवान लगातार नीतीश की आलोचना कर रहे हैं…जाहिर तौर पर चिराग पासवान के सपोर्ट में तेजस्वी का बयान नीतीश कुमार के दो दुश्मनों के एक होने के रूप में भी देखा जाने लगा है. साथ ही तेजस्वी और चिराग पासवान की आपसी अंडरस्टैंडिंग को भी दिखाता है. आपस की यह समझ तेजस्वी के निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर विधानसभा सीट पर भी दिख रहा है. दरअसल चिराग पासवान ने भाजपा के उच्च जाति का वोट काटने के उद्देश्य से वहां राजपूत उम्मीदवार को सीट पर उतारा है, जिससे तेजस्वी यादव को मदद मिलेगी. खैर इन सब बातो से अब बिहार कि सत्ता में एक दोस्ती कि बात होने लगी है और वो है तेजस्वी – चिराग कि दोस्ती…