गरीबों में बंटेगी अमीरों की ‘दौलत’, चीन में बड़ी कंपनियों पर शिकंजा
चीन में अब अमीरों की दौलत को गरीबों में बांटा जाएगा। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यह महत्वपूर्ण फैसला किया है। इससे देश के अमीर लोगों और बिजनेसमैन पर समाज को ज्यादा लौटाने का दबाव बढ़ गया है। शी ने मंगलवार को सत्तारूढ़ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के शीर्ष नेताओं से कहा कि सरकार को सामाजिक निष्पक्षता के लिए पैसे के पुनर्वितरण को एक प्रणाली बनानी चाहिए।
उन्होंने इस दौरान कहा कि अत्यधिक उच्च आय को सही तरीके से विनियमित करना और अमीर लोगों और बिजनेसमैन को समाज में और अधिक लौटाने के लिए प्रोत्साहित करना आवश्यक है। हालांकि अभी तक यह नहीं पता चल सका है कि शी इन लक्ष्यों को कैसे प्राप्त करेंगे, लेकिन माना जा रहा है कि सरकार टैक्स और अन्य विकल्पों के जरिए इसे पूरा करने का प्रयास करेगी।
सत्ता में बने रहने के लिए जरूरी बताया
शी ने चीन के लोगों के बीच साझा समृद्धि की आवश्यकता को पार्टी की सत्ता बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने 2049 तक देश को पूरी तरह से विकसित समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र में बदलने का संकल्प लिया। चीन 2049 में देश के गठन की 100वीं वर्षगांठ भी मनाएगा। शी ने पार्टी की आर्थिक बैठक के दौरान कहा कि सामान्य समृद्धि सभी लोगों की समृद्धि है। गौरतलब है कि यह आर्थिक बैठक नीति निर्धारित करने के लिए हर कुछ महीनों में आयोजित की जाती है।
अमीर-गरीब के बीच बढ़ती खाई बनी वजह
चीन एक गरीब देश से दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और व्यापार और प्रौद्योगिकी में सबसे बड़ी ताकतों में से एक में बदल गया है, लेकिन इन सबके बीच देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई भी लगातार बढ़ती जा रही है। 2019 पहली बार चीन में अमीरों की संख्या अमेरिका के अमीरों की संख्या से ज्यादा हो गई। यही चीज राष्ट्रपति शी जिनपिंग को परेशान कर रही है। शी ने मंगलवार को स्वीकार किया कि 1970 के दशक में आर्थिक सुधारों के बाद पार्टी ने कुछ लोगों को अमीर बनाने में मदद की। लेकिन 2012 के बाद से सत्ता संभालने वाले शी ने सभी लोगों की सामान्य समृद्धि को महत्व देना शुरू किया है।
बड़ी कंपनियों पर शिकंजा
शी का पैसों के पुनर्वितरण पर अर्थव्यवस्था के लिए उनकी सरकार के व्यापक लक्ष्यों से जुड़ा है। हाल के महीनों में देश ने वित्तीय जोखिम को कम करने, अर्थव्यवस्था की रक्षा करने और भ्रष्टाचार को खत्म करने के नाम पर तकनीक, वित्त, शिक्षा और अन्य क्षेत्रों में अभूतपूर्व कार्रवाई शुरू की है। हालांकि निजी उद्यमों पर कार्रवाई ने वैश्विक निवेशकों को झकझोर दिया है। साथ ही चीन की अर्थव्यवस्था में नवाचार और विकास की संभावनाओं के बारे में आशंका को जन्म दे दिया है।
बेरोजगारी दर सबसे खराब स्तर पर पहुंची
देश की अर्थव्यवस्था ने हाल ही में कमजोरी के संकेत दिखाए हैं। सोमवार को जारी किए गए आंकड़ों से संकेत मिलता है कि देश की रिकवरी धीमी हो रही है। वहीं युवाओं में बेरोजगारी की दर एक साल में सबसे खराब स्तर पर पहुंच गई है।