China ने ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा, $137 बिलियन का हाइड्रोपावर डेम बनाने की मंजूरी दी, भारत और बांग्लादेश में बढ़ी चिंता

China ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डेम के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की लागत लगभग 137 बिलियन डॉलर है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा परियोजना माना जा रहा है।

China ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी के निचले हिस्से पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डेम के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना की लागत लगभग 137 बिलियन डॉलर है, और यह दुनिया का सबसे बड़ा बुनियादी ढांचा परियोजना माना जा रहा है। इस डेम के निर्माण से भारत और बांग्लादेश जैसे आसपास के देशों में चिंता पैदा हो गई है, क्योंकि इसका सीधा प्रभाव इन देशों के जल संसाधनों पर पड़ सकता है।

परियोजना का विवरण

China सरकार ने बुधवार (25 दिसंबर, 2024) को यारलुंग ज़ांग्बो नदी (जिसे भारत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है) के निचले क्षेत्रों में एक हाइड्रोपावर परियोजना के निर्माण को हरी झंडी दी है। यह डेम चीन के तिब्बत क्षेत्र में स्थित होगा और इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर बिजली उत्पादन करना है। यह परियोजना न केवल चीन के लिए ऊर्जा उत्पादन का एक प्रमुख स्रोत बनेगी, बल्कि इसकी क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर भी महत्वपूर्ण आर्थिक और रणनीतिक परिणाम हो सकते हैं।

भारत और बांग्लादेश पर प्रभाव

भारत और बांग्लादेश दोनों ही देश ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे स्थित हैं और यह नदी उनके जल संसाधनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ब्रह्मपुत्र नदी पर इस तरह के बड़े पैमाने पर हाइड्रोपावर डेम के निर्माण से इन देशों के जल प्रवाह पर गहरा असर पड़ सकता है। भारतीय अधिकारियों का कहना है कि चीन द्वारा यह डेम बनाने से नदी के जल प्रवाह में बदलाव आ सकता है, जो भारत के पूर्वी हिस्सों में कृषि, जल आपूर्ति और पर्यावरणीय संतुलन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

बांग्लादेश के लिए भी यह परियोजना चिंता का कारण बन सकती है, क्योंकि यह देश भी ब्रह्मपुत्र नदी से जल प्राप्त करता है। यदि चीन इस नदी के जल प्रवाह को नियंत्रित करता है, तो बांग्लादेश में सूखा, बाढ़ और जल संकट जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।

China का दृष्टिकोण और महत्व

चीन के लिए यह परियोजना रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह हाइड्रोपावर डेम देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा और साथ ही साथ तिब्बत क्षेत्र के विकास को भी बढ़ावा देगा। इसके अलावा, चीन इस परियोजना को अपने आर्थिक और ऊर्जा सुरक्षा उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम मानता है।

हालांकि, चीन ने इस परियोजना के पर्यावरणीय और जलवायु प्रभावों पर विशेष ध्यान देने की बात की है, लेकिन आसपास के देशों के साथ जल बंटवारे और नदी के प्रवाह के मुद्दे को लेकर कोई स्पष्ट समझौता नहीं किया गया है, जो विवाद का कारण बन सकता है।

अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया और चिंताएं

चीन की इस परियोजना पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया मिश्रित रही है। कुछ देशों ने इस परियोजना को चीन के आर्थिक विकास और ऊर्जा उत्पादन के लिए एक सकारात्मक कदम माना है, जबकि अन्य देशों ने इसे जल विवादों और क्षेत्रीय तनाव का कारण बनने का खतरा बताया है। भारत और बांग्लादेश दोनों देशों ने चीन से इस परियोजना के पर्यावरणीय प्रभावों और जल वितरण पर बातचीत की मांग की है।

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चीन द्वारा ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डेम के निर्माण को मंजूरी देने से न केवल क्षेत्रीय जल विवादों को लेकर चिंताएं बढ़ी हैं, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी एक संवेदनशील मुद्दा बन गया है। भारत और बांग्लादेश को इस परियोजना के संभावित प्रभावों के बारे में स्पष्ट जानकारी और समझौते की आवश्यकता है, ताकि नदी के जल का उचित बंटवारा किया जा सके और पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखा जा सके।

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