रायपुर : कृषि कानून को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल राजनीति कर रहे : केंद्रीय राज्य मंत्री डॉ.बालियान
रायपुर। केंद्रीय पशुधन राज्य मंत्री डॉ. संजीव बालियान बुधवार को यहां कहा कि किसानों के लिए कृषि विधेयक बिल काफी वरदान साबित होगी। उन्होंने कहा कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल को कृषि बिल पर चर्चा करने के लिए मैं आमंत्रित करता हूं। इस मामले को लेकर कांग्रेस जनता में भ्रम न फैलाए। बालियान भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान केंद्रीय राज्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी सरकार की ओर से लाए गए नए कृषि कानून और महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार जैसे मुद्दों पर बात की।
केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ.बालियान ने कहा कि कृषि कानून कृषि और किसान के हित में है। आजादी के इतने साल बाद भी किसानों को यह अधिकार नहीं दिया गया था कि वह अपने जनपद पंचायत इलाके से बाहर भी अपना धान बेच सकें जबकि किसानों का भी ये हक होना चाहिए कि वह अपना धान कहीं भी बेच सकें। सभी राजनीतिक पार्टियां इस कानून के समर्थन में थीं। इसे लेकर कांग्रेस और भाजपा के घोषणा पत्र में भी बात थी कि किसानों के हक के लिए कानून बनाया जाए।
एपीएमसी एक्ट में संशोधन को लेकर उन्होंने कहा कि पूरे देश में अलग-अलग तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं। सबसे पहली बात ये है कि इसे एमएसपी से जोड़ा जा रहा है। एपीएम सी और एमएसपी दोनों एक दूसरे से अलग हैं। ये प्रदेश का विषय था। ये एपीएमसी एक्ट और मंडियां वैसी ही रहेंगी। उनमें इस बिल के बाद कोई बदलाव नहीं है। इसमें सिर्फ इतना बदलाव रहेगा कि धान मंडियां रहेंगी, मंडी में धान की खरीदारी होगी। लेकिन मंडी से बाहर अगर कोई धान बेचना चाहता है तो किसान किसी कोल्ड स्टोरेज से, किसी गोदाम से खरीद-फरोख्त कर सकता है।यह अतिक्रमण नहीं है, ये एपीएमसी एक्ट में संशोधन है। मंडियां जारी रहेंगी। मंडियों में खरीदी होती रहेगी।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार इस बात को बताए कि अगर केंद्र सरकार को एमएसपी बंद करना होता तो छत्तीसगढ़ को बढ़ाकर क्यों देते। उन्होंने कहा कि ये मंडी कानून में संशोधन है एमएसपी में नहीं।
छत्तीसगढ़ में राज्य का कृषि कानून लाने के मामले में केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार को ऐसा कानून लाने का कोई अधिकार नहीं है। कृषि उत्पाद का इंटरस्टेट मूवमेंट संविधान के सेंट्रल लिस्ट में है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं। वे जवाब दें कि कांग्रेस की घोषणा पत्र में किसान के अधिकार के लिए कानून बनाए जाने की बात थी कि नहीं। अगर उनकी घोषणा पत्र में ये बात थी तो उन्हें इस कानून का विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार यहां के किसानों को घूमाना चाहती है और लोगों को बहका रही है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने कहा कि पूरे देश में अगर वर्तमान में 07 हजार धान मंडियां हैं, तो उनमें से करीब 01 हजार मंडी ऐसी है जो ई-मार्केटिंग से जोड़ी जा चुकी है। ई-मार्केटिंग से अगर मंडियों को जोड़ा जा रहा है तो ढील भी देनी पड़ेगी। सामान के उत्पाद एक तरफ से दूसरी तरफ जाने के लिए कानून में परिवर्तन करना पड़ेगा। पूरे देश में करीब 8600 करोड़ रुपये मंडी टैक्स के रूप में आते हैं। इस राशि से करीब 08 हजार रुपये, जो केंद्र सरकार धान और गेहूं की खरीद कराती है या अन्य किसी कृषि उत्पाद की खरीद कराती है उसका टैक्स है। ये केंद्र देती है। अलग-अलग प्रदेश में अलग-अलग टैक्स की दरें हैं।
उन्होंने कहा कि जहां तक खरीद की बात है, तो केंद्र सरकार खरीदी कराती है. केंद्र खरीद गेहूं और चावल खरीदती है, जिसका पैसा एफसीआई से आता है। प्रदेश सरकार की एक नोडल एजेंसी है जो चावल और गेहूं की खरीदी कर केंद्र सरकार को सप्लाई करती है। प्रदेश सरकार को इसका अधिकार है कि वह कहीं से भी खरीदी कर सकती है। केंद्र सरकार को सिर्फ पैसा देना है। इसमें कुछ भी अतिक्रमण जैसा नहीं है। केंद्र सरकार अपनी पूरी जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार है।
केंद्रीय राज्यमंत्री ने बताया कि दूसरे बिल को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का नाम दिया गया है। अभी कोविड के दौरान ही 01 लाख रुपये का एग्रीकल्चर डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए फंड दिया गया है। करीब 20 हजार करोड़ मत्स्य पालन के लिए किया गया। करीब 15 हजार करोड़ पशुपालन के लिए डेवलपमेंट एंड इंफ्रास्ट्रक्चर फंड है।