चतुर्थी नवरात्र: जानिए मां कुष्मांडा की पूजा की विधि व शुभ मुहूर्त
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चैत्र नवरात्रि हिंदू नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। नवरात्रि एक ऐसा त्यौहार है जिसे पूरे देश में बहुत हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर में दो नवरात्रि होती हैं; एक जो मार्च-अप्रैल में होता है और दूसरा जो सितंबर-अक्टूबर में होता है।
इस वर्ष चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन शनिवार, 25 मार्च को मनाया जाएगा। इस दिन नवरात्रि की पूजा देवी कुष्मांडा को समर्पित है।
शुभ मुहूर्त:
ब्रह्म मुहूर्त- 04 बजकर 46 मिनट से 05 बजकर 33 मिनट तक
प्रातः सायंकाल – प्रातः 05:09 से प्रातः 06:20 तक
अभिजित मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 03 मिनट से 12 बजकर 52 मिनट तक
विजय मुहूर्त – दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से दोपहर 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधुली मुहूर्त – शाम 06:34 से शाम 06:57 तक
अमृत काल- 08:32 AM से 10:07 AM.
भोग
नवरात्रि 2022 के चौथे दिन भक्त मां कुष्मांडा का प्रिय भोजन माने जाने वाले मालपुए, हलवा और दही का भोग लगाते हैं।
पूजा विधि
नवरात्रि के चौथे दिन, माँ कुष्मांडा पूजा की विधि शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश (विघ्नहर्ता) का आह्वान करके और बाधा रहित नवरात्रि व्रत के लिए उनका आशीर्वाद मांगते हुए शुरू होती है। फिर निम्न मंत्रों का उच्चारण करते हुए मां कुष्मांडा का आह्वान करें।
मां कुष्मांडा मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कुष्मांडा आरती
मां आरती तेरी गाते,
मैय्या आरती तेरी गाते।
कुष्मांडा महामाया,
हम तुमको ध्याते।
मां आरती तेरी गाते।
हे जगदंबा दयामयी,
आदि स्वरूपा माँ।
देव, ऋषि, मुनि, ज्ञानी,
गन तेरे गाते।
मां आरती तेरी गाते।
कर ब्रह्माण्ड की रचना,
कुष्मांडा कहलाये।
वेद पुराण भवानी,
सब यही बटालाते।
मां आरती तेरी गाते।
सूर्य लोक निवासिनी,
तुमको कोटि प्रणाम।
सम्मुख तेरे पाप और,
दोष ना टिक पाटे।
मां आरती तेरी गाते।
अष्ट बुझे माँ शक्ति,
सिम्हा वाहिनी है तू।
भव सिंधु से तर्ते,
दर्शन जो पाटे।
मां आरती तेरी गाते।
माँ कुष्मांडा आरती के बोल अंग्रेजी में
माँ कुष्मांडा आरती के बोल अंग्रेजी में
अष्ट सिद्धि नौ निधियां,
हाथ तेरी माता।
पा जाते हैं सहज ही,
जो तुमको ध्याते।
मां आरती तेरी गाते।
शस्त्र विधि से विधिभट,
जो पूजन करते।
आदि शक्ति जग जननी,
तेरी दया पाटे।
मां आरती तेरी गाते।
नव दुर्गण में मैय्या,
चौथा स्थान तेरा।
चौथे नवरात्रे को,
भक्त तुझे ध्याते।
मां आरती तेरी गाते।
आधी व्याधि सब हरके,
सुख समृद्धि दो।
हे जगदंबा भवानी,
इतनी दया चाहते हैं।
मां आरती तेरी गाते।
कुष्मांडा जी की आरती,
जो कोई गावे।
कहत शिवानंद स्वामी,
मानवच्छित फल पावे।
मां आरती तेरी गाते।