7 सितंबर को फिर लाइव देखेंगे पीएम मोदी, चांद पर चन्द्रयान की जीत
कुछ ही दिनों में भारत का नाम चाँद के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से दर्ज हो जाएगा। आज इस ऑपरेशन का तीसरा चरण पूरा हो गया है। आज सुबह लगभग 9 बजे भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चंद्रयान 2 की स्पीड कम कर उसका चांद की पहली कक्षा में सफलतापूर्वक प्रवेश करा दिया है। चांद की कक्षा LBN#1 में प्रवेश कर अब चंद्रयान-2 चन्द्रमा की सतह से 150 किमी से भी कम दूर है। अब चंद्रयान-2 118 किमी की एपोजी (चांद से कम दूरी) और 18078 किमी की पेरीजी (चांद से ज्यादा दूरी) वाली अंडाकार कक्षा में अगले 24 घंटे तक चक्कर लगाएगा। एक दिन पहली कक्षा में रख चंद्रयान 2 को अगली कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश के लिए चंद्रयान-2 की गति 90 प्रतिशत तक कम कर दी गई है। ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि चाँद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति का प्रभाव सतह से 65000 किमी तक है। ऐसे में यदि चंद्रयान-2 की गति कम न की जाती तो उसका चन्द्रमा की सतह से टकराने की संभावना थी। मंगलवार को चांद की कक्षा में चंद्रयान-2 का प्रवेश कराना सभी के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण था। लेकिन इसरो वैज्ञानिको ने इसे बेहद कुशलता और सटीकता के साथ अंजाम दिया। चाँद की कक्षा में चंद्रयान-2 को प्रवेश कराने से पहले इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में जाते समय कड़ी परीक्षा से गुजरेगा। गति कम करने के लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए चालू किया जाएगा। इस दौरान एक छोटी सी चूक भी यान को अनियंत्रित कर सकती है। यह सिर्फ चंद्रयान-2 के लिए ही नहीं बल्कि वैज्ञानिकों के लिए भी परीक्षा की घड़ी होगी।
चाँद की कक्षाओं में प्रवेश
LBN#2- 21 अगस्त की दोपहर 12.30-1.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 121×4303 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
LBN#3- 28 अगस्त की सुबह 5.30-6.30 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 178×1411 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
LBN#4- 30 अगस्त की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 126×164 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
LBN#5- 01 सितंबर की शाम 6.00-7.00 बजे के बीच चंद्रयान-2 को 114×128 किमी की कक्षा में प्रवेश कराया जाएगा।
चंद्रयान-2 अगले 15 दिनों में चन्द्रमा की चारो कक्षाएं पार कर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। सॉफ्ट लैंडिंग के बाद ऑर्बिटर में से लैंडर ‘विक्रम’ निकलेगा जिसमे से रोवर ‘प्रज्ञान’ निकल के चाँद का जायज़ा लेगा। ऑर्बिटर सालभर चांद का चक्कर लगाते हुए रिसर्च करेगा। इसरो वैज्ञानिकों के अनुसार चांद की कक्षा में सारे बदलाव करने के बाद ऑर्बिटर में इतना ईंधन बच जाएगा कि वह दो साल तक काम कर सकता है। सॉफ्ट लैंडिंग के समय यान को धरती से 2 कमांड दिए जाएंगे ताकि लैंडर की गति और दिशा सुधारी जा सके और लैंडर धीरे से सतह पर उतरे। ऑर्बिटर और लैंडर में फिट कैमरे लैंडिंग जोन का रियल टाइम असेस्मेंट उपलब्ध कराएंगे। वहीं लैंडर का डाउनवर्ड लुकिंग कैमरा सतह को छूने से पहले इसका आकलन करेगा ताकि लैंडिंग के समय कोई परेशानी न हो।
बता दें कि 22 जुलाई को चंद्रयान 2 को श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली के जरिए प्रक्षेपित किया गया था। उसके बाद 14 अगस्त को चंद्रयान-2 धरती की कक्षा से सफलतापूर्वक बाहर निकल गया था। चाँद की कक्षा में प्रवेश के साथ अब वैज्ञानिक उम्मीद जता रहे है कि 7 सितम्बर को चंद्रयान 2 चाँद पर सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि 7 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंद्रयान-2 की चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग को लाइव देखेंगे।