केजरीवाल और सिसोदिया को आरोपमुक्त करने को चुनौती, दिल्ली कोर्ट ने 11 ‘आप’ नेताओं को भेजा नोटिस, जानें मामला
दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने 2018 के कथित तौर पर मारपीट मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के 9 अन्य नेताओं को बरी करने के मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश को चुनौती दी है। अदालत ने केजरीवाल, सिसोदिया और अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा है।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उप-मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के नेताओं से पूर्व मुख्य सचिव अंशु प्रकाश की उस याचिका पर जवाब मांगा है जिसमें उन्होंने 2018 में कथित तौर पर मारपीट के एक मामले में आरोप मुक्त किए जाने को चुनौती दी थी। अपील पर सुनवाई करते हुए विशेष न्यायाधीश गीतांजलि गोयल ने केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और 9 अन्य को 11 अगस्त को राजनेताओं को बरी करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर नोटिस जारी किया।
यह आपराधिक मामला 19 फरवरी, 2018 को केजरीवाल के आधिकारिक आवास पर एक बैठक के दौरान अंशु प्रकाश पर कथित हमले से संबंधित है और इसके अलावा कई राजनेताओं को मामले में आरोपी बनाया गया था। अदालत ने केजरीवाल, सिसोदिया और ‘आप’ के अन्य विधायकों राजेश ऋषि, नितिन त्यागी, प्रवीण कुमार, अजय दत्त, संजीव झा, ऋतुराज गोविंद, राजेश गुप्ता, मदन लाल और दिनेश मोहनिया को इस मामले की आगे सुनवाई के लिए 23 नवंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।
अदालत ने 11 लोगों के अलावा ‘आप’ विधायक अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल को भी नोटिस जारी किया है, जिनके खिलाफ अदालत ने आरोप तय करने का आदेश दिया था।
अंशु प्रकाश की ओर से वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ लूथरा और वकील कुमार वैभव ने न्यायाधीश के समक्ष बताया कि मजिस्ट्रेट कोर्ट ने अपने अगस्त के आदेश में केजरीवाल और अन्य को आरोपमुक्त करने में गलती की थी।
अंशु प्रकाश ने अमानतुल्लाह खान और प्रकाश जारवाल के खिलाफ आईपीसी के 506 (आपराधिक धमकी) सहित अतिरिक्त आरोप तय करने की भी मांग की है।
केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और ‘आप’ के नौ अन्य विधायकों को अक्टूबर 2018 में जमानत दे दी गई थी। अमानतुल्ला खान और प्रकाश जारवाल को इससे पहले हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। कथित हमले से दिल्ली सरकार और उसके नौकरशाहों के बीच तीखी नोकझोंक हुई थी।