चैत्र नवरात्रि उपवास 22 मार्च से
जय माता दी! इस बार के चैत्र नवरात्रि के उपवास 22 मार्च अर्थात् बुधवार से आरंभ हो रहे हैं। इस बार नवरात्रि उपवास का समापन नौवें दिन 30 मार्च अर्थात् गुरुवार को होगा।
दुर्गा शप्तशती के अनुसार, इन नौ पवित्र दिनों मैं मां महालक्ष्मी के नौ स्वरूपों की उपासना की जाती है। कहा जाता है कि मां महालक्ष्मी के इन नौ स्वरूपों का उपवास, ध्यान, मनन पवित्र मन से करने वालों का हर मनोरथ पूर्ण होता है।
अधिकांश लोग माता के इन नौ स्वरूपों को मां दुर्गा का अवतार मानते हैं। मां महालक्ष्मी या मां दुर्गा को आदि शक्ति भी कहा जाता है। नौ दिन तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि उपवासों में भक्त मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करके उन्हें प्रसन्न करते हैं।
मां आदि शक्ति के नौ अवतारों – मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां सिद्धिदात्री और मां महागौरी हैं। मान्यता है कि मां आदि शक्ति ने सभी नौ स्वरूप अलग-अलग उद्देश्यों की पूर्ति के लिए धारण किए थे। मां आदि शक्ति के नौ स्वरूपों की पूजा के दौरान नवदुर्गा के बीज मंत्रों का जाप करना भक्तों के लिए कल्याणकारी सिद्ध होता है। आप भी मां आदि शक्ति के इन नौ स्वरूपों के बीज मंत्रों का जाप करें :-
मां शैलपुत्रीबीज मंत्र : ह्रीं शिवायै नम:
प्रार्थना मंत्र : वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां ब्रह्मचारिणीबीज मंत्र : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:
प्रार्थना मंत्र : दधाना कर पद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां चंद्रघंटाबीज मंत्र : ऐं श्रीं शक्तयै नम:
प्रार्थना मंत्र : पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कूष्मांडाबीज मंत्र : ऐं ह्री देव्यै नम:
प्रार्थना मंत्र : सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां स्कंदमाताबीज मंत्र : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
प्रार्थना मंत्र : सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां स्कन्दमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कात्यायनीबीज मंत्र : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:
प्रार्थना मंत्र : चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां कालरात्रि बीज मंत्र : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:।
प्रार्थना मंत्र : एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्त शरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोह लताकण्टकभूषणा।
वर्धन मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयङ्करी॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां महागौरी बीज मंत्र :श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
प्रार्थना मंत्र : श्वेते वृषेसमारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥
स्तुति मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु मां महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मां सिद्धिदात्रीबीज मंत्र : ह्रीं क्लीं ऐं सिद्धये नम:
प्रार्थना मंत्र : सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
स्तुति मंत्र : या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥