राज्यसभा में हंगामा करने वाले विपक्षी सांसदों के खिलाफ एक्शन ले सकते हैं सभापति नायडू, ले रहे हैं सलाह
नई दिल्ली. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू (M Venkaiah Naidu) सदन की मर्यादा तोड़ने वाले सांसदों के खिलाफ अब कार्रवाई करने की तैयारी कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि सांसदों के खिलाफ किस तरह के एक्शन लिए जाएं इसको लेकर नायडू एक्सपर्ट्स की सलाह ले रहे हैं. बता दें कि बुधवार को राज्यसभा में जम कर हंगामा (Ruckus in Rajya Sabha) हुआ था. हंगामा इतना बढ़ गया था कि सदन में धक्का-मुक्की तक की नौबत आ गई थी. कहा जा रहा है कि नायडू सांसदों के खिलाफ उनके व्यवहार पर उचित कार्रवाई के लिए राज्यसभा सचिवालय के पूर्व और मौजूदा वरिष्ठ सदस्यों के साथ कानूनी सलाह ले रहे हैं. इस मामले में सांसदों के खिलाफ एक्शन लेने की ज़िम्मेदारी विशेषाधिकार समिति को सौंपा जा सकता है या फिर नई समिति के गठन पर भी विचार हो सकता है. अखबार ने सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि विस्तृत विचार-विमर्श के बाद ही कोई कार्रवाई की जाएगी.
बता दें कि राज्य सभा की विशेषाधिकार समिति किसी सदस्य या परिषद या उसकी किसी समिति के विशेषाधिकार के उल्लंघन से जुड़े मुद्दों पर गौर कर सकती है. जबकि नैतिकता संबंधी समिति सदस्यों के नैतिक आचरण और जांच करने के लिए देखरेख करती है. सूत्रों ने कहा कि अध्यक्ष के सामने एक अन्य विकल्प मामले की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन करना है. UPA-I की सरकार के दौरान इसका इस्तेमाल सोमनाथ चटर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में किया था. दरअसल निचले सदन के सदस्यों द्वारा पैसे लेकर सवाल पूछने का मामला सामने आया था. इसके बाद पवन कुमार बंसल की अध्यक्षता वाली एक विशेष समिति की सिफारिशों के आधार पर, लोकसभा ने अपने 10 सदस्यों को निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया था.
एक्सपर्ट्स की सलाह
सूत्रों ने कहा कि सभापति नायडू ने इस मुद्दे पर सलाह लेने के लिए अक्टूबर 2007 से सितंबर 2012 तक राज्यसभा के महासचिव रहे वी के अग्निहोत्री से बात की है. नायडू ने इससे पहले भी भी अग्निहोत्री से सलाह ली है. उन्होंने राज्यसभा सचिवालय के वरिष्ठ सदस्यों से भी बात की है. कहा जाता है कि वो कानून के बड़े जानकार सुभाष कश्यप से सलाह लेने का मन बना रहे हैं. कश्यप ने दिसंबर 1983 से अगस्त 1990 तक लोकसभा महासचिव के रूप में कार्य किया था.
प्रतिनिधिमंडलों से नायडू की मुलाकात
राज्यसभा में बुधवार को भारी हंगामे के दौरान हुई धक्का-मुक्की की घटना के एक दिन बाद उपसभापति एम वेंकैया नायडू ने उच्च सदन के अधिकारियों के साथ चर्चा की थी. उपसभापति ने सरकार और विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडलों से भी मुलाकात की और 11 अगस्त को हुई घटना के बारे में उनकी राय भी सुनी।इस दौरान नायडू ने पूर्व में सदस्यों के नियम विरुद्ध आचरण, उसे लेकर गठित समितियों, उनकी रिपोर्ट और उन पर हुई कार्रवाई के बारे में जानाकरी मांगी.
महिला सांसदों के साथ धक्कामुक्की
बंता दे कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य विपक्षी नेताओं ने संयुक्त बयान में कहा है कि राज्यसभा में बुधवार को जो हुआ वह हैरान करने वाला, अप्रत्याशित, दुखद और सदन की गरिमा और सदस्यों का अपमान था. साथ ही कहा कि इस सरकार ने संसदीय लोकतंत्र के सम्मान को कम किया है. विपक्षी नेताओं ने यह दावा किया कुछ महिला सांसदों समेत सदन के कई सदस्यों के साथ ऐसे बाहरी लोगों ने धक्कामुक्की की, जो संसद की सुरक्षा का हिस्सा नहीं है. इस बयान पर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार, द्रमुक के टीआर बालू समेत 11 दलों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं.