देश के 10 लाख अनियमित कर्मचारी मोदी सरकार के इस फैसले से खुशी से उछल पड़ेंगे
भारत में अर्थव्यवस्था(Economy) को नियंत्रित करने के लिए केंद्र सरकार रोज़ाना कोई न कोई प्रयास कर रही है। वहीँ देश में बढ़ती रोज़गारी को लेकर भी अब सरकार गंभीर होकर कदम उठाने की राह पर है। GST में कटौती कर केंद्र सरकार लेदर सेक्टर (Leather Sector) को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। वहीँ केंद्र सरकार (Central Government) के 10 लाख अनियमित कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों को बराबर वेतन देने की बात कही है।
केंद्र सरकार इंडस्ट्री की मांग पर लेदर सेक्टर को राहत देने के लिए बड़े कदम उठाने की तैयारी में है। वित्त मंत्रालय (Finance Minister) और उद्योग मंत्रालय के बीच इस सेक्टर को एक्सपोर्ट पर छूट और GST में कटौती देने के प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है। इस प्रस्ताव में लेदर एक्सपोर्ट में छूट और GST कटौती पर फोकस किया गया है। इन प्रस्तावों के मुताबिक ड्यूटी फ्री इंपोर्ट(Duty Free Import) और कच्चे माल पर इंपोर्ट की सीमा में बढ़ोतरी संभव है। जानकारी के अनुसार ड्यूटी फ्री इंपोर्ट की सीमा 3 फीसदी से बढ़कर 5 फीसदी हो सकती है। इसके अलावा फुटवियर के कच्चे माल पर भी GST कटौती संभव है। 1000 से ज्यादा कीमत के फुटवियर पर GST 18 फीसदी से घटा कर 12 फीसदी किया जा सकता है। एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए इस सेक्टर को बड़ी राहत संभव है।
अनियमित कर्मचारियों को मिलेगा पूरा वेतन
केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले 10 लाख अनियमित कर्मचारियों को भी नियमित कर्मचारियों के बराबर वेतन दिया जाएगा। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अधीन कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) ने बुधवार को आदेश दिया है कि सभी अनियमित कर्मचारियों को 8 घंटे काम करने पर उसी पद पर काम करने वाले नियमित कर्मचारियों के वेतनमान (Pay Scale) के न्यूनतम मूल वेतन और महंगाई भत्ते के बराबर ही भुगतान होगा।
वे जितने दिन काम करेंगे, उन्हें उतने दिनों का ही भुगतान होगा। हालांकि आदेश संख्या 49014/1/2017 के अनुसार उन्हें नियमित रोजगार पाने का हक नहीं होगा। वहीँ यदि किसी अनियमित कर्मचारी का काम नियमित कर्मचारी के काम से अलग है तो उसे राज्य सरकार के निर्धारित वेतन के आधार पर भी भुगतान किया जाएगा। DoPT का यह आदेश समान कार्य के लिए समान वेतन के सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के बाद आया है।
ट्रेड यूनियन ने जताई नाराज़गी
सरकार की ओर से आदेश जारी होने के बाद ट्रेड यूनियन (Trade Union) के कई नेताओं ने संदेह जताया है। कुछ नेताओं का कहना है कि ऐसे आदेश पहले भी दिए गए हैं, लेकिन लागू नहीं हो सके हैं। गौरतलब है कि केवल केंद्रीय कर्मचारियों के लिए आदेश जारी करने हेतु इसे DoPT के जरिए जारी किया गया है। श्रम मंत्रालय द्वारा जारी किए जाने पर यह सभी कर्मचारियों पर लागू होता। इस आदेश से पहले तक इन कर्मचारियों को संबंधित राज्य सरकारों का तय किया न्यूनतम वेतन ही दिया जाता था।