फेक एनकाउंटर में 29 साल बाद फैसला:23 जुलाई 1992 को ब्यास के गुरबिंदर को घर से उठाकर दिखाया मृत
रिटायर्ड SI को 10 साल की सजा, मुख्य दोषी SHO की हो चुकी मौत
मोहाली की विशेष CBI कोर्ट ने पंजाब के 29 साल पुराने फेक पुलिस एनकाउंटर में वीरवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने पंजाब पुलिस के रिटायर्ड सब-इंस्पेक्टर (SI) अमरीक सिंह को आईपीसी की धारा-364 के तहत 10 साल की सजा और धारा-342 के तहत एक साल की सजा सुनाई। उस पर 20 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया। घटना के समय अमरीक सिंह ASI था। कोर्ट ने बुधवार को ही उसे दोषी करार दे दिया था और वीरवार को सजा सुनाई।
इस फेक पुलिस एनकाउंटर के मुख्य आरोपी रिटायर्ड इंस्पेक्टर वस्सन सिंह की मौत हो चुकी है। घटना के समय वस्सन सिंह अमृतसर जिले में ब्यास थाने का SHO था। तब पुलिस ने गुरबिंदर सिंह नामक सिख नौजवान को उसके घर से उठाया और बाद में उसका एनकाउंटर दिखा दिया।
गुरबिंदर सिंह के परिवार के वकील पुष्पिंदर सिंह के अनुसार, 21 जुलाई 1992 की शाम को पुलिस ने ब्यास से चन्नण सिंह नामक व्यक्ति को उसके घर से उठाया और जालंधर के एक थाने की हवालात में रखकी बुरी तरह टॉर्चर किया। इसके 2 दिन बाद यानि 23 जुलाई 1992 को पुलिस ने चन्नण सिंह के बेटे गुरबिंदर सिंह को जालंधर में रह रहे उसके भाई सवर्ण सिंह के घर से उठा लिया। उसी दिन गांववालों के दबाव में पुलिस ने चन्नण सिंह को तो छोड़ दिया मगर गुरबिंदर को 24 जुलाई को पुलिस एनकाउंटर में मारा गया बताकर केस की फाइल बंद कर दी।
फेक एनकाउंटर में मृत दिखाए गुरबिंदर सिंह के भाई परमिंदर सिंह केस की जानकारी देते।
चन्नण सिंह ने सरकार और आला अफसरों से अपने बेटे की हत्या के लिए जिम्मेदार पुलिसवालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की अपील की मगर कहीं सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद जसवंत सिंह खालड़ा कमेटी ने केस आगे भेजा और पीड़ित परिवार ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।
5 साल बाद, 1997 में CBI को सौंपा गया मामला पीड़ित परिवार की याचिका पर अदालत ने मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए। घटना के 5 साल बाद, वर्ष 1997 में सीबीआई ने इस फेक एनकाउंटर की जांच शुरू की और प्राथमिक जांच के बाद पंजाब पुलिस के इंस्पेक्टर अमरीक सिंह और सब इंस्पेक्टर वस्सन सिंह के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। इस केस की सुनवाई मोहाली में विशेष CBI जज हरिंदर कौर सिद्धू की अदालत में चली। वर्ष 2002 में दोनों आरोपी पुलिस अफसरों के खिलाफ चार्जशीट दायर की गई। दोनों पक्षों की सुनवाई पूरी होने के बाद बुधवार को अदालत ने इस केस में पूर्व इंस्पेक्टर अमरीक सिंह और पूर्व सब इंस्पेक्टर वस्सन सिंह को दोषी करार दे दिया। गुरुवार सुबह अमरीक सिंह को सजा सुनाई गई।
फैसला लेट आया मगर अदालत के फैसले से खुश हूं: पीड़ित परिवार
वीरवार को फैसला सुनने के लिए अदालत पहुंचे मृतक गुरबिंदर सिंह के भाई परमिंदर सिंह ने कहा कि उन्हें 29 साल संघर्ष करना पड़ा। उनके भाई के केस में बेशक कोर्ट का फैसला लेट आया मगर उनका परिवार अदालत के फैसले से खुश है।
परमिंदर सिंह ने कहा कि दोनों पुलिसवालों ने जिस तरह उनके बेकसूर भाई को मारा, उसे देखते हुए दोनों को जो सजा मिली है, वह बहुत कम है। दोनों को इससे भी कड़ी सजा मिलनी चाहिए थी ताकि दोबारा कोई ऐसा करने की सोच भी न सके।