जज मौत मामला: लाई डिटेक्टर टेस्ट में खाली हाथ रही CBI, अब ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट ही आखिरी उम्मीद

धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद की मौत के मामले में गिरफ्तार ऑटो चालक लखन वर्मा और उसके सहयोगी राहुल वर्मा की ब्रेन मैपिंग और नार्को टेस्ट कराए जाएंगे। सीबीआई दोनों का गुजरात के फोरेंसिंक साइंस लैब में टेस्ट कराएगी। दोनों को अपने साथ ले जाने के लिए बुधवार को सीबीआई ने उनकी रिमांड अवधि बढ़ाने संबंधी आवेदन न्यायालय में दिया, जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।

सीबीआई की विशेष दंडाधिकारी शिखा अग्रवाल के न्यायालय में सीबीआई के एएसपी सह केस के आईओ विजय कुमार शुक्ला ने आवेदन देकर दोनों का 10 दिनों की रिमांड अवधि बढ़ाने की मांग की। सीबीआई ने गिरफ्तार लखन वर्मा और राहुल वर्मा को बुधवार की दोपहर न्यायालय में पेश कराया था। दोनों आरोपियों की रिमांड अवधि का विस्तार 10 दिन और करने की प्रार्थना की।

सीबीआई की ओर से दोनों आरोपियों का मेडिकल सर्टिफिकेट भी न्यायालय के सुपुर्द किया गया। सीबीआई की प्रार्थना को मंजूर करते हुए अदालत ने दोनों आरोपियों को 10 दिन की और पूछताछ के लिए रिमांड पर ले जाने की अनुमति उन्हें दे दी। अदालत ने सीबीआई को 20 अगस्त तक दोनों आरोपियों को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीबीआई दोनों आरोपियों को अपने साथ रिमांड पर ले गई।

लाई डिटेक्टर में टीम को नहीं मिल सकी सफलता

सीबीआई ने पिछले दो दिनों में लखन वर्मा और राहुल वर्मा के लाई डिटेक्टर, फोरेंसिक साइकोलॉजिकल असेसमेंट व फोरेंसिक असेसमेंट एनालिसिस टेस्ट कराए। टेस्ट में दोनों ने सीबीआई को कोई जानकारी नहीं दी। दोनों अब भी अपने जवाब पर कायम हैं। उनका कहना है अत्यधिक शराब पीने और नशीली दवा के सेवन के कारण यह दुर्घटना हुई। वे लोग जज को जानते तक नहीं थे।

यह दुर्घटना का मामला है, इसमें किसी की साजिश नहीं है। सीबीआई सात अगस्त को दोनों को पुलिस रिमांड पर ले गई थी। सोमवार को चार दिन ही पूरे हुए थे। इससे पहले सीबीआई ने फिर उनकी रिमांड बढ़ाने की मांग कर दी। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी दोनों से पांच दिनों तक पूछताछ कर चुकी है।

जज के न्यायालय के कर्मियों से पूछताछ

सीबीआई के इंस्पेक्टर सत्यपाल यादव ने बुधवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश-8 उत्तम आनंद की अदालत के स्टेनो, अर्दली, बेंच क्लर्क एवं अन्य कर्मचारियों से भी पूछताछ की। सीबीआई न्यायालय के कर्मचारियों से पूछताछ कर इस बात की जानकारी हासिल करना चाह रही थी कि मृतक जज उत्तम आनंद का विवाद हाल के दिनों में किसी अधिवक्ता या व्यक्ति से तो नहीं हुआ था। उनके न्यायालय में चल रहे किसी मामले में उन्हें किसी पर शक तो नहीं। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लाई डिटेक्शन से भी सीबीआई को कोई खास सबूत नहीं मिल सका। इसलिए अब दोनों का नार्को और ब्रेन मैपिंग कराया जा रहा है।

Related Articles

Back to top button