मासूमों में कोविड संक्रमण के मामले बढ़े, हर 100 केस में 7 बच्चे
नई दिल्ली. भारत (India) में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण का इलाज करा रहे मरीजों यानि एक्टिव केस में बच्चों की संख्या में इजाफा हुआ है. हाल ही में आयोजित बैठक में पेश किए गए एम्पावर्ड ग्रुप-1 (EG-1)के डेटा से इस बात की जानकारी मिली है. EG-1 के पास ही देश में कोविड आपातकालीन रणनीति तैयार का जिम्मा है. हालांकि, जानकारों का कहना है कि इस बदलाव का ‘नाटकीय’ नहीं कहा जा सकता है. इसका कारण वायरस की वयस्कों के प्रति कम हुई संवेदनशीलता हो सकती है. इस मामले में सबसे ज्यादा बुरे हाल मिजोरम में है. जबकि, राजधानी दिल्ली के आंकड़े राहत देने वाले हैं.
जारी डेटा से पता चला है कि कुल एक्टिव केस में 1 से 10 साल की उम्र के बच्चों की संख्या मार्च में 2.80% थी, जो अगस्त में बढ़कर 7.04% हुई है. इसका मतलब है कि प्रति 100 सक्रिय मामलों में करीब 7 बच्चे हैं. नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल की अध्यक्षता में आयोजित EG-1 की बैठक में यह डेटा साझा किया गया था. मीटिंग में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समेत कई मंत्रालयों के अधिकारी मौजूद थे.
डेटा दिखाता है कि कुल सक्रिय मामलों में मार्च से पहले जून 2020 से लेकर फरवरी 2021 तक, नौ महीनों में 1 से 10 साल की उम्र के बच्चों की संख्या 2.72%-3.59% थी. 18 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों का अगस्त का डेटा बताता है कि बच्चों में कोविड के सबसे ज्यादा मामले मिजोरम (16.48% कुल एक्टिव केस का) में देखे गए. जबकि, दिल्ली (2.25%) में यह आंकड़ा सबसे कम था. राष्ट्रीय औसत के 7.04% की तुलना में मिजोरम, मेघालय (9.35%), मणिपुर (8.74%), केरल (8.62%), अंडमान एंड निकोबार आईलैंड (8.2%), सिक्किम (8.02%), दादर एंड नगर हवेली (7.69%) और अरुणाचल प्रदेश (7.38%) में बच्चों की संख्या ज्यादा थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, बच्चों में कोविड के मामले बढ़ने का कोई खास कारण नहीं दिया गया है. रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया कि यह ट्रेंड ‘ज्यादा संपर्क में आने और ज्यादा टेस्टिंग’ के कारण हो सकता है. एक अन्य सूत्र ने कहा, ‘बच्चों के भर्ती होने का अनुपात पहले की तुलना में अधिक है. मुख्य रूप से इसके दो कारण हैं. पहला, ज्यादा जागरूकता और सतर्कता है. दूसरा, संवेदनशीलता सही अनुपात में बढ़ी है.’
सूत्र ने कहा, ‘अगर हम सीरो सर्वे देखेंगे, तो बच्चों में पॉजिटिविटी रेट 57 से 58 फीसदी रहा है. यह दिखाता है कि बच्चे बड़े स्तर पर महामारी की हिस्सा रहे हैं और वे हमेशा महामारी का हिस्सा रहेंगे.’ बच्चों में कोविड के मामलों को बढ़ने से रोकने को लेकर सूत्र ने कहा कि बायोलॉजिकल ई जैसे वैक्सीन उम्मीदवार 10 साल के कम उम्र के बच्चों के लिए मंजूरी पाने की राह पर हैं.