जेल में ताराचंद से ‘ताहिर’ बने शख्स पर दर्ज हुआ केस, ये है आरोप

मेरठ. अपनी पत्नी के प्रेमी के कत्ल के आरोप में 42 महीनों से जेल में बंद ताराचंद (Tarachand) ‘ताहिर’ बन गया. लॉकडाउन में जेल से जमानत पर आए ताराचंद उर्फ़ ताहिर पर इलाके के गरीब लोगों को नौकरी और रुपयों का लालच देकर धर्मांतरण (Conversion) के लिए उकसाने का गंभीर आरोप लगा है. जिसके बाद स्थानीय व्यक्ति की शिकायत पर पुलिस ने ताराचंद के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और अब धर्मांतरण के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोपों की पुलिस जांच कर रही है.

अपनी पत्नी के प्रेमी की हत्या के मामले में ताराचंद पिछले 42 महीने से जेल में था. इस दौरान फैमिली वाले न मिलने आए, न जमानत कराई. उसी बैरक में बंद उस्मान ने ताराचंद की मदद की. उस्मान से प्रभावित ताराचंद नमाज पढ़ने लगा. ताराचंद जमानत पर बाहर आया तो अपने गांव पहुंचा, लेकिन बढ़ी हुई दाढ़ी  उस पर नमाज पढ़ना ग्रामीणों को नागवार गुजरा. ग्रामीणों के दवाब में उसने दाढ़ी कटवा दी. वहीं ताराचंद का कहना है कि मैं नमाज पढ़ता हूं, लेकिन ये नहीं कि मैंने धर्म बदल लिया।

कोरोना महामारी के चलते मऊखास गांव का ताराचंद जब पैरोल पर जेल से बाहर आया तो उसके चेहरे पर दाढ़ी और सर पर गोल टोपी थी. ताराचंद गांव में अपने घर में अकेले रहता था और नमाज पढ़ने गांव की मस्जिद में जाता था. यह बात गांव के ग्रामीणों और बीजेपी नेता दुष्यन्त तौमर को पता चली तो वह सैकड़ों गांववाले लेकर ताराचंद के घर पहुंच गया. जिसके बाद ग्रामीणों के दवाब में ताराचंद ने दाढ़ी कटवा दी.

साथी कैदी उस्मान से हुआ प्रभावित
ताराचंद 2017 से पहले ट्रक ड्राइवरी करता था और मेरठ शहर के टीपीनगर में बीबी-बच्चों के साथ किराये के मकान में रहता था. बीबी के अपने प्रेमी से संबध हो गये और ताराचंद ने जब उन्हें रंगेहाथ पकड़ा तो उसने प्रेमी का कत्ल कर दिया. ताराचंद जेल गया तो बीबी और घरवालों ने उससे पल्ला झाड़ लिया. वह 42 महीने जेल में रहा लेकिन घरवाले उसकी मदद तो दूर, जेल में मुलाकात करने तक नहीं पहुंचे. धारा 302 के आरोपी उस्मान ने ताराचंद को सहारा दिया और उसके खाने-पीने के इंतजाम से लेकर उसे कानूनी मदद भी दिलाई. उस्मान की दोस्ती उसे इस्लाम के करीब ले गई तो उसने दाढ़ी रख ली और नमाज पढ़ने लगा.

अधिकारियों ने साधी चुप्पी
ताराचंद का कहना है कि वह ईश्वर और अल्लाह दोनों की इबादत करता है, यही उसके लिए मुसीबत बन गई है. सवाल जेल प्रशासन पर भी खड़े हुए हैं. लेकिन इस मामले से फिलहाल अफसरों ने चुप्पी साध रखी है. कोई भी पुलिस अधिकारी इस मामले में बोलने से बच रहा है. इस मामले में जिलाधिकारी मेरठ के बालाजी की मानें तो जेल प्रशासन इस मामले में जांच की है, जिसमें पाया गया कि उस्मान और ताराचंद अलग-अलग बैरक में रहते थे तो ऐसे में धर्मांतरण का सवाल पैदा नहीं होता. वहीं, ताराचंद की गतिविधियों पर गांव में पुलिस पैनी नजर बनाए हुए हैं.

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