औरैया sdm बिधूना के खिलाफ देहरादून में मुकद्दमा दर्ज
यूपी के औरैया जनपद के बिधूना तहसील में तैनात एसडीएम बिधूना पर धोखाधड़ी का मुकदमा देहरादून में दर्ज हुआ ।एसडीएम राशिद अली समेत 5 लोगो पर देहरादून में केस हुआ दर्ज।देहरादून में तहसीलदार के पद पर रहते किया था जमीन में फर्जीवाड़ा।फर्जी दस्तावेज कर जमीन बेचने पर देहरादून में डालनवाला कोतवाली में पुलिस ने मामला किया दर्ज। 2002 -2003 में शरद चन्द्र सिंध बानी शिकायतकर्ता द्वारा स्वामित्व भूमि को अनाधिकृत रूप से राजस्व अभिलेखों में अनाधिकृत ढंग से जरीना बेगम के नाम दर्ज करने एवं इस आधार पर श्री मति जरीना बेगम द्वारा उक्त भूमि की पॉवर ऑफ अटार्नी कई लोगों को देने एवं भूमि बेचने एवं यह सब कार्य आप द्वारा करवाए जाने के आरोप लगे हैं।पुलिस को दिया था प्रार्थनापत्र जिसपर पुलिस ने काफी समय बाद sdm बिधूना राशिद अली समेत 5 के खिलाफ मामला दर्ज किया । वही इस समय उत्तर प्रदेश के औरैया जिले ने पीसीएस उपजिलाधिकारी के पद पर तैनात राशिद अली से जब इस विषय पर बात की गई तो उन्होंने बताया यह मामला विरासत दर्ज करने का था। जिसको आज मुझे पेपर के माध्यम से मुझे पता चला है 2002 में देहरादून में तहसीलदार के पद पर तैनात थे उस समय मेरे द्वारा एक विरासत दर्ज किया गया था विरासत में लेखपाल की रिपोर्ट के आधार पर और गवाहों के आधार पर मेरे द्वारा सदर किया गया था मेरी आदेश के खिलाफ यह लोग विभिन्न न्यायालयों में गए राजस्व परिषद उत्तराखंड में गए राजेश प्रसाद उत्तराखंड देहरादून के द्वारा भी हमारे आदेश को सही माना गया लीगल माना गया सही माना गया उसके बाद यह राजस्व पर्षद देहरादून आदेश से क्षुब्ध होकर हाई कोर्ट नैनीताल गए और सही माना गया और उनकी रीड को डिशमिस किया गया।माननीय उच्च न्यायालय नैनीताल के द्वारा हमारे आदेश को सही माना गया ।और इसको डिशमिस कर दिया गया।उसके बाद देहरादून के एसपी के द्वारा स्वयं इसकी 2018 में जांच की गई 2018 में एसपी महोदय द्वारा स्वम् जांच कर के रिपोर्ट लगाई गई।हमारे द्वारा कोई गलती नही को गई है।जो प्रासिस है।वह न्याय प्रकिया के तहत है।उच्च न्यायालय नैनीताल के द्वारा हमारे आदेश को सही माना गया है।इस लिए उनके द्वारा मुझे दोष मुक्त कर दिया गया है।फिर आज जब अखबारों में पता चल रहा है कि नीचे के एसओ के द्वारा कोई एफआईआर दर्ज कराई गई है।क्या बात है।यह हम नहीं बता सकते ।इस प्रकार न्याययिक प्रकिया में उच्य न्यायालय नैनीताल द्वारा राजस्व परिषद उत्तराखंड के द्वारा सही माना गया हो ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराना यह बिल्कुल नियम विरुद्ध नियम का गला घोटना कहा जा सकता है।