राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनौती से भरा रहा बुंदेलखंड, क्या भाजपा का बना रहेगा दबदबा
सियासी दलों के लिए बुंदेलखंड का सफर मुश्किलों भरा , किसका होगा राज
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में राजनीतिक सियासत गरमा गई हैं। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देजर पार्टियां जीत की तैयारी में जुटी हुई। सभी पार्टियों के गले की हड्डी अगर बनेगा तो वो बुंदेलखंड है। राजनीतिक बड़े-बड़े जानकार भी बुंदेलखंड वालों के मन को नहीं पढ़ पाते हैं। यही वजह है कि इस वीर भूमि बुंदेलखंड की धरती पर राजनीति सियासी दलों के लिए हमेशा से चुनौती से भरा रहा है। यहां कि जनता का बदलता मिजाज बिलकुल मौसम की तरह होता है। यहां के लोग कब किस पार्टी को सराखों पर बैठा लें कभी नीचे उतार दें कुछ पता नहीं होता है। यही वजह है कि केवल 19 विधानसभा सीटों वाले इस इलाके में अपनी जड़ें बनाए रखने के लिए जहां बीजेपी एड़ी चोटी का जोर लगा रही है, तो वहीं सपा, बसपा व कांग्रेस के रूप में विपक्ष पहले से मौजूद चुनौतियों को भेदने की कोशिश कर रहे हैं।
बुंदेलखंड को मिली भाजपा से सौगातें
बुन्देखंड की जनता का भरोसा जीतेने के लिए और 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पीएम मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई चुनावी सौगातों के साथ यहां कई बार दौरा कर चुके हैं। इसमें जलजीवन मिशन की महत्वाकांक्षी परियोजना से लेकर डिफेंस कॉरिडोर व बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिए उद्योग बढ़ाने वाली योजनाओं को रफ्तार देना शामिल है। भाजपा ने यहां अपनी जीत को बरकरार रखने के लिए खास रणनीति बनाते हुए जातीय व क्षेत्रीय समीकरणों को भी दुरुस्त किया
सपा के लिए बुंदेलखंड हमेशा रहा चुनौती से भरा
वहीं भाजपा के बाद दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा की बात करें तो उसके लिए बुंदेलखंड हमेशा से चुनौतियों से भरा रहा है। इसीलिए अखिलेश यादव ने यहां पूरा फोकस करते हुए अपनी विजय रथयात्रा का पहला चरण कानपुर-बुंदेलखंड में गुजारा और अब पांचवे चरण में भी वह अपनी रथयात्रा लेकर इस इलाके में घूमते रहे। उन्होंने महिलाओं की पांच सौ रुपये वाली पेंशन तिगुनी करने का चुनावी वडा भी यहीं से किया। जब सपा ने 2012 में 224 सीटें लेकर यूपी में सरकार बनाई थी तब उसे इस इलाके में महज पांच सीटें ही मिली थीं। यही नहीं तब बुंदेलखंड के हमीरपुर, ललितपुर, महोबा में तो उसका खाता तक नहीं खुला था। उससे पहले 2007 के चुनाव में सपा केवल 6 सीट जीत पाई थी। एक समय बसपा का मजबूत किला रहा बुंदेलखंड अब इस पार्टी का चार्म यहां कम हो गया है। फिर भी बसपा यहां प्रबुद्ध सम्मेलन कर अपनी सक्रियता बढ़ाई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने पिछले महीने ही चित्रकूट जाकर चुनावी अभियान चलाया।
7 सालों से बीजेपी कर रही बुन्देलखण्ड में पर राज
पिछले सात साल से पूरा बुंदेलखंड बीजेपी का मजबूत गढ़ बना हुआ है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें एक लाख से लेकर 15 हजार तक के अंतर से जीतीं हैं। लिहाजा इस बार भी सबसे ज्यादा चुनौती बीजेपी के आमने होगी।
पार्टियों के लिए हमेशा बेवफा रहा है बुंदेलखंड
बुंदेलखंड का सियासी मिजाज हमेशा मौसम की तरह बदलता रहता हैं वह किसी एक दल का होकर नहीं रहा। यहां के लोगों ने बसपा को भी ऊंचाईयों पर बिठाया तो सपा को भी खासी तवज्जो मिली। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा पांच, बसपा सात, कांग्रेस चार व बीजेपी ने तीन सीटें जीती थीं। उसके बाद से दो लोकसभा व एक विधानसभा चुनाव में बीजेपी का यहां डंका बजा है।
बुंदेलखंड में आने वाली ये हैं सीटें
माधोगढ़, काल्पी, उरई, बबीना, झांसी नगर, मऊरानी पुर, गरौठा, ललितपुर, हमीरपुर, राठ, महोबा, चरखारी, तिंदवारी, बबेरू, नरैनी, बांदा, चित्रकूट, मानिकपुर। बुंदेलखंड में दो मंडल झांसी व चित्रकूट आते हैं। इसमें सात जिले जालौन, झांसी, ललितपुर, हमीरपुर, बांदा व चित्रकूट हैं।
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