Boycott बना फिल्मों के लिए अभिशाप: पहले दिन महज 11 करोड़ कमा सकी लाल सिंह चड्ढा, ट्रेंड जारी रहा तो इंडस्ट्री नहीं कर पाएगी रिकवरी
News Nasha
इन दिनों सोशल मीडिया पर #Boycott शब्द आपने कई बार सुना होगा। इस हैशटैग के साथ ज्यादातर फिल्मों और सेलेब्स के नाम ट्रेंड हो रहे हैं। हाल ही में #BoycottLaalSinghChaddha, #BoycottRakshabandhan, #BoycottDarlings, #BoycottBollywood आपने कई बार देखा होगा। इन फिल्मों को जनता द्वारा बायकॉट करने की मांग हुई है। कई बार तो ऐसा भी हुआ जब सोशल मीडिया का विरोध फिल्मों के सेट या सिनेमाघरों के बाहर तक पहुंच गया। तोड़फोड़ हुई, पोस्टर जलाए गए, स्क्रीन से फिल्म हटाई गई, वहीं कई बार तो सेलेब्स को धमकी भी मिली। लाल सिंह चड्ढा से लोगों की उम्मीदें बंधी हुई थीं, लेकिन फिल्म 4 दिनों में महज 38 करोड़ का कलेक्शन ही कर सकी। इसका बड़ा कारण बायकॉट ट्रेंड हो सकता है।
ये नया तरीका है किसी फिल्म या सेलिब्रिटी का विरोध करने का। ये शब्द देखने में तो काफी मामूली है, लेकिन इसके ट्रेंड होने से कई फिल्मों को करोड़ों का नुकसान हुआ। वहीं कई सेलेब्स तो ऐसे हैं जो इस ट्रेंड का ऐसा शिकार हुए हैं कि उनकी हर फिल्म जनता द्वारा ठुकराई जा रही है। लेकिन किसी फिल्म का विरोध होने से क्या वाकई सिर्फ एक एक्टर को असर पड़ता है? जवाब है नहीं। बायकॉट या कैंसिल कल्चर होकर जब भी फिल्म फ्लॉप हुई तो असर फिल्म से जुड़े कलाकारों के साथ उसकी यूनिट से जुडे हजारों लोगों को हुआ और इससे भी ज्यादा इसका असर पड़ा फिल्म इंडस्ट्री को।
बायकॉट ट्रेंड के 3 अहम पड़ाव:
2010- पाकिस्तानी प्लेयर्स का सपोर्ट करना- 2008 में हुए 26/11 हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया। पाकिस्तानी क्रिकेटर्स को आईपीएल में बैन कर दिया गया। किंग नाइट राइडर के मालिक शाहरुख खान ने 2009 में पाकिस्तानी प्लेयर्स को आईपीएल में जगह दिए जाने की बात कही। उनका ये बयान इतना विवादों में रहा कि जब उनकी फिल्म माय नेम खान की अनाउंसमेंट हुई तो लोगों ने इसका विरोध किया। शाहरुख को पाकिस्तानी का सपोर्टर बताया गया और उनका सपोर्ट कर रहे लोगों की फिल्मों को भी बायकॉट किए जाने की मांग होने लगी। सोशल मीडिया पर आए दिन फिल्में बायकॉट की जाने लगीं।
2015- असहिष्णुता पर बयान- आमिर खान ने इंडियन एक्सप्रेस के दिल्ली में हुए ईवेंट में असहिष्णुता पर बयान देते हुए कहा कि उनकी पत्नी को भारत में डर महसूस होता है और वो विदेश सेटल होना चाहते हैं। विवाद बढ़े और आमिर का विरोध किया जाने लगा। आमिर का सपोर्ट करने वालों की फिल्में बायकॉट की जाने लगीं।
2020- सुशांत सिंह राजपूत की मौत- सुशांत सिंह राजपूत की मौत के बाद बॉलीवुड स्टार्स, फिल्में और पूरी इंडस्ट्री को बायकॉट करने का मुद्दा सबसे ज्यादा तक गर्माया। आए दिन ये हैशटैग ट्रेंड हुई और कई स्टार्स, स्टारकिड्स और उनकी फिल्मों को बायकॉट किया गया। इससे कई स्टारकिड्स की फिल्में बुरी तरह फ्लॉप हुईं। सुशांत की मौत के बाद से ही अब आए दिन फिल्में बायकॉट की जा रही हैं।
क्यों इन फिल्मों को करना पड़ा विरोध का सामना:
इंडिया थाई- बायकॉट इन दिनों भले ही सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता हो, लेकिन ये सिलसिला तब से जारी है, जब सोशल मीडिया जैसा कुछ था ही नहीं। देश आजाद होने से पहले जब तमिल एक्ट्रेस टीपी राजलक्ष्मी ने इंडिया थाई (भारत माता) फिल्म बनाई तो ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने इस पर रोक लगाने के लिए फिल्म को कई जगह रिलीज होने से रोक दिया था। विवाद के कारण फिल्म को करोड़ों का नुकसान हुआ था।
नील अकाशर नीचे- ये भारत की पहली फिल्म थी, जिसे राजनीति विरोध बताते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने बैन कर दिया था। मृणाल सेन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दिखाया गया था कि कैसे अपने पावर का इस्तेमाल कर नेता नीचे तबके के लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं। सेंसेटिव मुद्दा होने पर जवाहरलाल नेहरू ने इसकी रिलीज पर रोक लगा दिया। तीन महीनों तक विवादों का सामना करने के बाद इसे रिलीज किया गया था।
सत्यम शिवम सुंदरम- सबसे पहले राज कपूर की 1978 में आई फिल्म सत्यम शिवम सुंदरम पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। कारण था फिल्म में बोल्ड कंटेंट होना। हिमाचल प्रदेश के एक आदमी ने राज कपूर के खिलाफ शिकायत तक दर्ज करवाई थी। विवाद बढ़ने पर लोगों ने भी फिल्म को अश्लील बताते हुए बैन करने की मांग की, हालांकि इस विरोध से फिल्म की कमाई पर कोई असर नहीं पड़ा।
एन ईवनिंग इन पेरिस- जब 1967 की फिल्म एन इवनिंग इन पेरिस में शर्मिला टैगोर ने बिकिनी पहनी तो खूब हंगामा हुआ। शर्मिला फिल्म में बिकिनी पहनने वाली पहली एक्ट्रेस थीं। हंगामा हुआ, कल्चर खराब करने के आरोप लगे, फिल्म बैन करने की मांग भी खूब हुई। लेकिन इस कंट्रोवर्सी का असर फिल्म पर नहीं पड़ा और बाद में जीनत अमान, डिंपल कपाड़िया जैसी एक्ट्रेसेस ने भी फिल्मों में बिकिनी पहनकर ट्रेंड आगे बढ़ाया गया।
कैसे शुरू हुआ बायकॉट ट्रेंड?
पिछले कई सालों से जनता द्वारा फिल्मों का विरोध किया जा रहा था। कभी वाटर फिल्म के सेट पर तोड़फोड़ की गई तो कभी समलैंगिकता पर बनी फिल्म फायर को बैन करने की मांग हुई। लेकिन सबसे ज्यादा ये ट्रेंड तब हाईलाइट हुआ जब साल 2010 में शाहरुख खान की फिल्म माय नेम इज खान को बैन करने की मांग हुई। दरअसल, शाहरुख ने आईपीएल में पाकिस्तान के प्लेयर्स को जगह देने की बात कही थी। पाकिस्तानियों का सपोर्ट करने पर शाहरुख विवादों में आ गए और इसका सीधा असर उनकी फिल्म पर पड़ा। सोशल मीडिया से बढ़कर विवाद सिनेमाघरों तक पहुंच गया। शिवसेना ने फिल्म का विरोध किया और बुकिंग शुरू होते ही थिएटर्स पर हमला किया। कई जगह फिल्म रिलीज नहीं हो सकी और डर से थिएटर्स में सिक्योरिटी भी बढ़ा दी गई।