“उल्टा चश्मा..” के इस कलाकार ने की आत्महत्या, घर के पंखे से झूलता मिला शव, वजह कर देगी हैरान..

टीवी और बॉलीवुड की चमक-धमक के पीछे छिपी दर्दभरी हकीकत एक बार फिर सामने आई है। टीवी सीरियलों में सहायक अभिनेता के तौर पर काम कर चुके ललित मनचंदा ने मेरठ स्थित अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। वह लंबे समय से बेरोजगारी और आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे। सोमवार सुबह उनका शव उनके ही कमरे में पंखे से लटका मिला।

डिप्रेशन और बेरोजगारी से टूट चुका था एक कलाकार

ललित मनचंदा ने ‘इंडिया मोस्ट वांटेड’, ‘क्राइम पेट्रोल’, ‘मर्यादा’, ‘ये रिश्ता क्या कहलाता है’, ‘खिचड़ी’ और ‘उल्टा चश्मा’ जैसे चर्चित धारावाहिकों में सहायक भूमिकाएं निभाई थीं। लगभग 16 साल पहले वह मुंबई गए थे और 12 वर्षों तक उन्होंने टीवी इंडस्ट्री में काम किया। लेकिन कोविड के बाद काम मिलना बंद हो गया।

वह पिछले 6 महीने से मेरठ के लिसाड़ी गेट स्थित प्रह्लादनगर में अपने भाई संजय मनचंदा के साथ रह रहे थे। उनके साथ पत्नी तरु, बेटा उज्जवल और बेटी श्रेया भी थे।

आखिरी रात और सुबह का वो मंजर

परिजनों के मुताबिक, रविवार की रात ललित अपने कमरे में सोने चले गए। सुबह जब परिजन उन्हें चाय देने गए, तो दरवाजा खोलकर देखा कि ललित ने चद्दर से फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली थी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची, शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और शाम को उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया।

“काम नहीं था, हौसला टूट गया था…” – परिवार की आंखों में आंसू

परिजनों का कहना है कि ललित लगातार काम की तलाश कर रहे थे लेकिन कोई सफलता नहीं मिल रही थी। इससे वे मानसिक तनाव में आ गए थे। काम की कमी ने उनका आत्मविश्वास तोड़ दिया और धीरे-धीरे वह डिप्रेशन में चले गए।

बॉलीवुड की बेरहम हकीकत

“बॉलीवुड में सफलता के लिए संघर्ष तो होता है, पर जब वह संघर्ष लंबा हो जाए और कोई सहारा ना बचे, तो वही ग्लैमर जानलेवा बन जाता है।”

ललित की कहानी उन हजारों कलाकारों की कहानी है जो सपनों की नगरी मुंबई में नाम कमाने आते हैं, लेकिन असलियत से टकराकर टूट जाते हैं। उनके जैसे कई कलाकार इस समय भी बेरोजगारी और मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं।

प्रशासन और इंडस्ट्री से उठ रहे सवाल

क्या मनोरंजन जगत में मेंटल हेल्थ को लेकर पर्याप्त जागरूकता है? क्या सरकार और फिल्म इंडस्ट्री को ऐसे कलाकारों के लिए सहयोग योजनाएं नहीं शुरू करनी चाहिए?

ललित मनचंदा का जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि ये सवाल भी छोड़ गया है कि आखिर कब तक कलाकार संघर्ष के नाम पर अकेले दम पर सब झेलते रहेंगे?

 

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