अखिलेश यादव के पहुंचने से पहले पहुंची जीत, BJP को लगातार दूसरा झटका.. राणा सांगा विवाद में कोर्ट से मिली राहत
सपा को कानूनी जीत, भाजपा की रणनीति पर सवाल

आगरा की सिविल जज (सीनियर डिवीजन) कोर्ट ने समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन को बड़ी राहत दी है। राणा सांगा पर दिए गए बयान को लेकर उनके खिलाफ अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह द्वारा दायर वाद को कोर्ट ने निरस्त कर दिया है।
यह वाद आर्य संस्कृति संरक्षण ट्रस्ट के अधिवक्ता ने दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सपा सांसद ने संसद में राणा सांगा को “गद्दार” कहा, जो राजपूत समाज की भावनाओं को ठेस पहुँचाने वाला है।
संसद में दिए गए बयान से शुरू हुआ था विवाद
रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में बयान दिया था:
“अगर मुसलमान बाबर की औलाद हैं, तो फिर बीजेपी वाले गद्दार राणा सांगा की औलाद हैं।”
इस बयान के बाद भाजपा सांसदों और करणी सेना ने तीखी प्रतिक्रिया दी थी और सपा सांसद से माफी की मांग की गई थी। इसके बाद मामला कोर्ट तक पहुंचा, लेकिन अब अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि यह वाद स्वीकार योग्य नहीं है।
कोर्ट ने कहा – “मामला स्वीकार योग्य नहीं”, BJP को फिर झटका
कोर्ट के फैसले ने जहां सपा खेमे में राहत पहुंचाई है, वहीं BJP के लिए यह कुछ ही दिनों में दूसरी कानूनी हार बन गई है। इससे पहले वक्फ संपत्तियों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार को झटका लग चुका है। राणा सांगा विवाद को लेकर भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बनाना चाहती थी, लेकिन कोर्ट के फैसले ने उसकी रणनीति पर पानी फेर दिया है।
कोर्ट के फैसले से पहले ही अखिलेश यादव आगरा रवाना
दिलचस्प बात यह है कि अखिलेश यादव आज ही सांसद रामजीलाल सुमन से मिलने आगरा पहुंच रहे हैं। उनके दौरे की तैयारियां जोरों पर हैं। इससे पहले ही कोर्ट का यह फैसला आना समाजवादी पार्टी के लिए एक बड़ी जीत माना जा रहा है। पार्टी कार्यकर्ता इस फैसले को सपा की “न्यायिक जीत” बताकर प्रचारित कर रहे हैं।
अधिवक्ता बोले- जिला जज कोर्ट में करेंगे चुनौती
वादी अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने कहा है कि वे इस आदेश के खिलाफ डिस्ट्रिक्ट जज कोर्ट में रिवीजन याचिका दायर करेंगे। उनका दावा है कि राणा सांगा को गद्दार कहना ऐतिहासिक तथ्यों के विपरीत है और इस पर गंभीर विचार जरूरी है।
सपा को कानूनी जीत, भाजपा की रणनीति पर सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने एक बार फिर दिखाया है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव न केवल राजनीतिक रूप से, बल्कि कानूनी मोर्चे पर भी मजबूती से डटे हुए हैं। बीजेपी, जो इस विवाद को भुनाने की कोशिश कर रही थी, उसे लगातार दूसरी बार न्यायिक स्तर पर हार का सामना करना पड़ा है।