इन सात जातियों के भरोसे पूर्वांचल को साधेगी बीजेपी; सपा-बसपा के पास है…

भाजपा पूर्वी उत्तर प्रदेश की इन सात पार्टियों- भारतीय मानव समाज पार्टी, शोषित समाज पार्टी, भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी, भारतीय समता समाज पार्टी, मानवहित पार्टी, पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी और मुसहर आंदोलन मंच उर्फ गरीब पार्टी, को एक मंच पर लाने में कामयाब हो गई है. ये सभी पार्टियां ओबीसी की हैं. इनका प्रभाव सीमित ही सही लेकिन अपने-अपने इलाके में प्रभावी हैं. भाजपा की कोशिश इन छोटी-छोटी पार्टियों को एक साथ लाकर यूपी में गैर यादव ओबीसी वोट बैंक में प्रभावी पकड़ बनाना है.

ओपी राजभर के सपा के साथ जाने से बदला गणित
2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर पूर्वांचल में कु्र्मी मतों में सेंध लगाने में कामयाब हुई थी, लेकिन इस बार सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नेता ओपी राजभर ने सपा का साथ देने की घोषणा की है. इन कारण भाजपा ने छोटी-छोटी सात पार्टियों को अपने साथ लाने की कवायद चली है. बीते माह ही भाजपा ने इन पार्टियों के साथ गठबंधन का ऐलान किया. इसे हिस्सेदारी मोर्चा नाम दिया गया है.

ये है गणित
हिस्सेदारी मोर्चा का संयोजक केवट रामधनी बिंद को बनाया गया है. द प्रिंट वेबसाइट से बातचीत मे बिंद कहते हैं कि हमारे पार छोटी-छोटी जाति समूहों का समर्थन है. हमने देखा है कि भाजपा गैर यादव ओबीसी और दलित पर फोकस कर रही है. इसी कारण हमने उनके साथ गठबंधन बनाने का फैसला किया. हम भाजपा नेतृत्व के आभारी हैं कि उन्होंने इस मोर्चे को एक बड़ा मंच दिया है. हम आगामी विधानसभा चुनाव में 15 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं.

भारतीय मानव समाज पार्टी
इस पार्टी को 2017 में बनाया गया. इसके प्रमुख केवट रामधनी बिंद हैं. यह ओबीसी में आने वाली निषाद जाति की उप जाति है. पूर्वी यूपी के करीब 10 जिलों प्रयागराज, जौनपुर, वाराणसी, मिर्जापुर, सोनभद्र और गाजीपुर में बिंद जाति की करीब 6 फीसदी आबादी है. ये यहां की कई सीटों पर जीत हार तय करने में सक्षम हैं.

शोषित समाज पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2020 में हुई और इसके प्रमुख हैं बाबू लाल राजभर. बाबू लाल राजभर एक समय ओपी राजभर के करीब थे. उनकी पार्टी राजभर समुदाय सहित अन्य वर्गों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करती है. बाबूलाल ने ओपी राजभर पर परिवारवाद का आरोप लगाकर अपनी अलग पार्टी बनाई है. बाबूलाल का दावा है कि पूर्वी यूपी में राजभर समुदाय की आबादी करीब 14 से 22 फीसदी के बीच है. वह कहते हैं कि ओपी राजभर केवल अपने परिवार के बारे में सोचते हैं इसलिए इस बार समुदाय उनकी पार्टी को वोट करेगा.

भारतीय सुहेलदेव जनता पार्टी
इस पार्टी की स्थापना वर्ष 2020 में की गई और इसके प्रमुख भीम राजभर हैं. इस पार्टी का बलिया जिले के राजभर समुदाय पर प्रभाव बताया जाता है. भीम राजभर भी पूर्व में ओपी राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के हिस्सा रह चुके हैं.

भारतीय समता समाज पार्टी
इसके प्रमुख महेंद्र राजपूत हैं और इस पार्टी की स्थापना 2008 में हुई थी. इस पार्टी की नजर ओबीसी में आने वाले प्रजापति समुदाय पर है. महेंद्र प्रजापति का दावा है कि उनके समुदाय की आबादी राज्य की कुल जनसंख्या में करीब 5 फीसदी है. प्रजापति मुख्य रूप से मिट्टी के बर्तन बनाने वाली कुम्हार जाति होते हैं. पारंपरागत रूप से यह सपा की वोटर रही है लेकिन गैर यादव ओबीसी के भाजपा के समीकरण में यह जाति खुद को फिट पाती है.

मानवहित पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2015 में हुई थी और इसके प्रमुख कृष्ण गोपाल सिंह हैं. इस पार्टी की नजर निषाद समुदाय की उपजाति कश्यप पर है. इस समुदाय के लोगों ने 1998 से 2014 तक बसपा का साथ दिया लेकिन अब ये भी भाजपा के गैर यादव ओबीसी फॉर्मूले में फिट बैठ रही है. गोपाल सिंह का दावा है कि राज्य की आबादी में कश्यप समुदाय की हिस्सेदारी करीब तीन फीसदी है.

पृथ्वीराज जनशक्ति पार्टी
इस पार्टी की स्थापना 2018 में हुई और इसके प्रमुख चंदन सिंह चौहान हैं. यह मुख्य रूप से नोनिया जाति की पार्टी है. पूर्वी यूपी में यह एक प्रमुख ओबीसी जाति है. ऐसा दावा किया जाता है कि पूर्वी यूपी में इस जाति की हिस्सेदारी करीब तीन फीसदी है. वाराणसी, चंदौसी और मिर्जापुर में इनका प्रभाव बताया जाता है.

मुसहर आंदोलन मंच
इसकी स्थापना 2020 में हुई और इसके प्रमुख चंद्रमा वनवासी हैं. इस समूह ने खुद को गरीब पार्टी के नाम से पंजीकरण कराने में लगा है. यह पूर्वी यूपी के गाजीपुर में सक्रिय है. इनका फोकस दलित समुदाय में आने वाली मुसहर जाति है.

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