जगनमोहन की पार्टी को मोदी कैबिनेट में शामिल करना चाहती है BJP, लेकिन…
नई दिल्ली. भारतीय जनता पार्टी (BJP) साल 2024 के लोकसभा चुनाव के पहले क्षेत्रीय दलों को साथ लाना चाहती है. इसी कड़ी में पार्टी केंद्रीय कैबिनेट में जनता दल यूनाइटेड को जगह दे चुकी है. अब वह दक्षिण की ओर रुख कर रही है. क्षेत्रीय दलों को एक साथ लाने की कवायद में भाजपा अब दक्षिण की वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (YSRCP) को भी केंद्रीय काबीना में शामिल कराने पर जोर दे रही है. सूत्रों का मानना है कि साल 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव पहले बीजेपी ने सीएम जगनमोहन रेड्डी (Jagan Mohan Reddy) की अगुवाई वाली पार्टी के साथ गठबंधन की कोशिश की. इतना ही नहीं बीते महीने सात जुलाई को हुए कैबिनेट विस्तार से पहले भी सीएम रेड्डी से बात हुई थी. सूत्रों के अनुसार ‘YSRCP को कैबिनेट में शामिल करने की प्रक्रिया में बातचीत लगभग हो चुकी थी. एक कैबिनेट पद, एक स्वतंत्र प्रभार और एक राज्य मंत्री का प्रस्ताव था, लेकिन बाद में दो कैबिनेट पदों पर चर्चा हुई और भाजपा नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं था.’
भाजपा नेतृत्व YSRCP से नाराज!
रिपोर्ट के अनुसार एक सूत्र ने कहा कि रेड्डी द्वारा भाजपा के ऑफर स्वीकार ना किये जाने पर भाजपा नेतृत्व नाराज है. हालांकि आंध्र प्रदेश के सीएम ने यह स्पष्ट किया कि ‘वह केंद्र के दोस्त बने रहेंगे और मुद्दों के आधार पर समर्थन करेंगे.’ साल 2014 के बाद से YSRCP मुद्दों के आधार पर केंद्र को समर्थन देती है इसके बावजूद वह एनडीए सरकार में शामिल होने के खिलाफ है. उधर, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर द्वारा 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के प्रयासों की ओर इशारा करते हुए सूत्रों ने कहा कि इस पर YSRCP के फैसलों का इंतजार करना होगा. सूत्रों ने कहा कि किशोर ने YSRCP को बीजेपी विरोधी समूह में शामिल कराने की कोशिश की है. इससे भाजपा नेतृत्व परेशानी में है.
यह पूछे जाने पर कि क्या पार्टी भाजपा के खिलाफ पार्टियों के समूह में शामिल होने पर विचार कर रही है, YSRCP नेता विजयसाई रेड्डी ने कहा, ‘यह राजनीतिक निर्णय है जो मुख्यमंत्री लेंगे.’ सूत्रों ने बताया कि भाजपा एक बार फिर आंध्र की सत्ताधारी पार्टी को राजग में शामिल होने और उसके साथ चुनाव पूर्व गठबंधन करने के लिए मनाने की कोशिश करेगी. भाजपा के एक सूत्र ने कहा- ‘भाजपा पहले से ही दो पारंपरिक सहयोगियों- शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल को खो चुकी है ऐसे में दक्षिण से एक क्षेत्रीय सत्ताधारी पार्टी का उसके साथ आना ‘महत्वपूर्ण’ उपलब्धि होगी.’ इस बीच, आंध्र के मुख्यमंत्री अपने विकल्पों पर विचार कर रहे हैं. एक नेता ने कहा ‘उत्तर प्रदेश के चुनाव और राष्ट्रपति चुनाव, जो 2022 की पहली छमाही में होंगे वह इसके शुरुआती संकेत दे सकते है कि हवा किस ओर बह रही है. हर दूसरे क्षेत्रीय दल की तरह, YSRCP उत्तर प्रदेश में राजनीतिक हालात और दोबारा हो रहे गठबंधनों पर कड़ी नजर बनाए हुए है.’