सोनू सूद के करीबी का दावा- सरकार ने पद्मश्री ऑफर किया था, लेकिन सोनू ने कोई जवाब नहीं दिया था
सोनू सूद के घर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड तीसरे दिन भी जारी रही। इस बीच उनके करीबियों ने दैनिक भास्कर को बताया कि सोनू को पद्मश्री ऑफर किया गया था, लेकिन सोनू ने उस पर कोई रिस्पॉन्स नही दिया था। करीबियों ने उन अफवाहों को भी खारिज किया, जिसके तहत उनके NGO में अनआइडेंटिफाइड रकम होने की खबरें सर्कुलेट हो रहीं हैं।
करीबी के मुताबिक, शुक्रवार को इनकम टैक्स विभाग की रेड पूरी हो जाएगी। इसके बाद शनिवार को सोनू आधिकारिक बयान जारी करेंगे। अभी उनके पुराने सोशल मीडिया अकाउंट को मॉर्फ कर शरारती तत्व स्टेटमेंट जारी कर रहे हैं। इस बातचीत में करीबी ने सोनू पर लगाए गए कई आरोपों के जवाब सिलसिलेवार ढंग से दिए। पेश हैं बातचीत के प्रमुख अंश-
सवालः क्या आईटी अधिकारी शुक्रवार को भी सोनू के घर कार्रवाई करते रहे?
जवाबः जी हां। शुक्रवार को हालांकि उनकी कार्रवाई पूरी होने को थी। तीन दिनों की मेहनत मशक्कत के बावजूद घर से कुछ मिला नहीं है।
सवालः एनजीओ या फाउंडेशन में अनआइडेंटिफाइड रकम भी है?
जवाबः ये बिल्कुल गलत आरोप है। हमारे यहां कोई एक रुपए भी डोनेट करना चाहेगा तो उनसे पैन कार्ड नंबर मांगा जाता है। नंबर नहीं देने पर हमारा पोर्टल रिजेक्ट कर देता है। ऐसे में आइडेंटिफाइड पैसा देश और दुनिया भर से लोग स्वेच्छा से डोनेट करते हैं। मसलन, हैदराबाद में एक दस साल की बच्ची है। उसे अपने जन्मदिन पर जो दस हजार के गिफ्ट मिले, वह उसने हमारी फाउंडेशन में डाले। एक बंदा बैंगलोर में है। वह अपनी सैलरी का दस परसेंट हमारी फाउंडेशन में डालता है। ऐसे बहुत से उदाहरण हैं। अब वो सब अनआइडेंटिफाइड कैसे हो गए।
सवालः एनजीओ का ऑफिस सिंगापुर में भी है?
जवाबः वहां कोई ऑफिस नहीं है। एनजीओ बना ही छह महीने पहले है। ऐसे में हम वहां एक और दफ्तर कहां से खोल लेंगे। मैनेजर जरूर दुबई में रहता है। हमारा ऑफिस तो मुंबई में ही है बस। एनजीओ के जरिए कितने लोगों को मदद हुई है, वह गिनने बैठेंगे तो 25 दिन लग जाएंगे।
सवालः सब कुछ साफ सुथरा है तो फिर रेड या सर्वे क्यों? सेवा करने या अब्रॉड से लोगों को एयरलिफ्ट करने के पैसे कहां से आते थे?
जवाबः मेरे ख्याल से वो लोग बोर हो रहे थे। सोचा चलो जरा धमाकेदार तरीके से सोनू सूद से मिलते हैं। हर जगह फंडिंग नहीं है। बहुत जगह हमें विमान कंपनियों से सहायता भी मिली है। जहां बाकियों से टिकट के 45 हजार चार्ज होते थे, हमसे 30 हजार ही लिए जाते थे। जितने भी लोगों को अब्रॉड से एयरलिफ्ट किया गया, उनमें कहीं भी हमने नहीं कहा कि हमने रकम पे की। हमने कहा कि हमने अरेंज किया सब। इसके सारे लीगल दस्तावेज हमारे पास हैं। रही बात रेमडेसिविर इंजेक्शन मुहैया करवाने की तो उसमें तो विभिन्न राज्यों के डीएम ने मदद की। हॉस्पिटलों से टाइअप हैं। फाउंडेशन ने मार्केट रेट पर दस लाख वाली सर्जरी डेढ़ लाख में करवाई।
सवालः यह भी कहा जा रहा है कि सोनू सूद खुद भी पद्मश्री वगैरह और बीजेपी में सदस्यता चाह रहे थे?
जवाबः ना, ना। बिल्कुल नहीं। हमारा कोई पॉलिटिकल एजेंडा नहीं है। उन्होंने कभी भी खुद को उन सब चीजों के लिए नॉमिनेट नहीं किया। सच कहूं तो पद्मश्री का ऑफर आया था, पर सोनू ने कोई रिस्पॉन्स नहीं किया था। ऐसा कतई नहीं था कि सोनू बीजेपी से अवॉर्ड चाहते थे। कोरोना काल में सोनू की कोई भी सेवा किसी भी तरह की चाह के मद्देनजर नहीं थी, उन्हें बदले में कुछ भी नहीं चाहिए।