बिन पानी सब सून : महेन्द्र सिंह

रहीम दास के दोहे ‘रहिमन पानी रखिए बिन पानी सब सून। पानी गये न ऊबरे मोती मानस चून।। का हवाला देते उत्तर प्रदेश के जल शक्ति मंत्री डा महेन्द्र सिंह लोगों से पानी की बूंद बूंद पानी बचाने की अपील की।

विश्व जल दिवस के मौके पर सोमवार को डा सिंह ने कहा कि आजाद भारत की पहली जनगणना में प्रति व्यक्ति प्रति दिन पानी की उपलब्धता लगभग 6000 घन मीटर थी जबकि 2001 की जनगणना में यह औसत घटकर 2000 घनमीटर रह गया, और 2011 की जनगणना में यह औसत 1500 घन मीटर रह गया।

उन्होने कहा “ वर्तमान में जिस औसत से हम पानी का उपयोग अथवा दोहन कर रहें है। यदि हम जल संचयन के विकल्पों का उपयोग कर जल बचाते हैं तो भी उपयोग अथवा दोहन के मुकाबले हम करीब 40 प्रतिशत ही संचयन कर पायेंगे इससे आप अन्दाजा लगा सकते है कि आने वाले कितने वर्षों बाद हमारे पानी पास साफ पानी की उपलब्धता एक गम्भीर समस्या बनने वाली है। इसलिए हमें वर्षा जल संचयन, तालाबों के संरक्षण एवं पानी बचाने के अन्य विकल्पों पर विचार करने की जरूरत है।”

वरिष्ठ भूगर्भ जल वैज्ञानिक आर एस सिन्हा ने भूजल के गिरते जल स्तर के कारण भविष्य में उत्पन्न होने वाली समस्याओं पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान समय में नदिया सूख रही है। इनके बहाव क्षेत्र में वर्षा जल संचयन के विकल्पों का निर्माण किया जाये तो इन्हें सूखने से बचाने के साथ साथ गिरते जल स्तर को कम किया जा सकता है।

इस अवसर पर वाटर एड लखनऊ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में जल संचयन केप्रति लोगों को जागरूक करने के लिए भदोही से लखनऊ तक की दूरी तय करके आये मैराथन धावक नायब बिन्द एवं उनके साथ साईकिल यात्रा कर रहे मुरलीधर एवं सुनील कुमार को सम्मानित किया गया।

Related Articles

Back to top button