कोरोना काल में सेहत पर खर्च करने के मामले में बिहार ने इन राज्यों को पछाड़ा
पटना. कोरोना महामारी (Corona Epidemic) के बीच बिहार (Bihar) ने एक रिकॉर्ड बनाया है. सेहत (Health) पर खर्च करने के मामले में बिहार देशभर में दूसरे नंबर (Second Position) पहुंच गया है. बिहार का हर शख्स अपने सेहत पर असम को छोड़ कर देश के दूसरे किसी भी राज्य से ज्यादा खर्च कर रहा है. अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफेम के मुताबिक, ‘बिहार में सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के नेटवर्क के विस्तार ने कोरोना की मारक असर को कमजोर किया है. हाल के वर्षों में बिहार सरकार ने जीडीपी का 2 प्रतिशत स्वास्थ्य सुविधाओं की संरचना विकसित करने में खर्च किया है. यह असम के बाद देश के किसी भी दूसरे राज्य या केंद्रशासित प्रदेश से ज्यादा है.
असम के बाद बिहार का स्थान
बता दें कि मार्च 2020 से ही देश में कोरोना ने कहर बरपा रखा है. अंतर्राष्ट्रीय संस्था ऑक्सफेम के मुताबिक, ‘बिहार में प्रति एक हजार आबादी में मात्र दो लोग ही कोरोना संक्रमित हुए हैं. उत्तराखंड के बाद यह देश में सबसे बेहतर है. उत्तराखंड में प्रति हजार आबादी पर 0.3 प्रतिशत लोग ही कोरोना संक्रमित हुए हैं. उत्तराखंड में 10 हजार लोगों पर मात्र तीन लोग ही कोरोना संक्रमित हुए हैं.
बिहार सरकार ने ऐसे काम किया
ऑक्सफेम की यह रिपोर्ट देश में पहली और दूसरी लहर के प्रभाव के आकलन के बाद तैयार की गई है. इसमें कोरोना के कम असर के पीछे सामाजिक, आर्थिक और अवसरों की कमी होती असमानता को सबसे अधिक महत्व दिया गया है. ऑकसफेम ने असमानता घटाने में बिहार को 100 में से 74 नंबर दिया है.
बिहार में 95.1 प्रतिशत लोग कोरोना संक्रमित हुए
ऑक्सफेम ने अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है कि बिहार में कोरोना संक्रमित लोगों में से 95.1 प्रतिशत लोग अब इस बीमारी से पूरी तरह उबर चुके हैं. ऑक्सफेम ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इसका बहुत बड़ा कारण सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था के एहतियातन उठाए गए कदम हैं. कोरोना से रिकवरी के मामले में सिर्फ आंध्र प्रदेश ही बिहार से बेहतर रहा है. आंध्र प्रदेश में रिकवरी रेट बिहार से थोड़ा ज्यादा 96.2 प्रतिशत है.अगर ऑक्सफेम की रिपोर्ट की मानें तो बिहार अब यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड जैसे राज्य और दिल्ली जैसे केंद्रशासित प्रदेश से भी आगे हो गया है. हालांकि, कोरोना की तीसरी लहर के लिए अभी से सावधानी भी बरती जा रही है. बिहार सरकार इसके लिए लगातार प्रयासरत है और जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं को दुरुस्त करने में लग गई है.