बिहार विधानसभा चुनाव : एनडीए की होगी वापसी या 2015 की तरह होगा पत्ता साफ
बेगूसराय। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी उफान पर है। एनडीए और महागठबंधन के बीच सीट के बंटवारा को लेकर मची हलचल के बीच बेगूसराय में भी चाय दुकान से लेकर चौपाल तक हर जगह समीकरण बनाए जा रहे हैं। बैठे-बिठाए गणित किए जा रहे हैं कि इस बार कौन कहां से बनेगा विधायक। किस सीट पर किसे मिलेगी जीत, कौन हो सकता है सशक्त उम्मीदवार। इन तमाम चर्चाओं के बीच यह चर्चा भी जोर-शोर से हो रही है की बेगूसराय के सभी सात विधानसभा सीटों पर इस बार क्या होगा। एनडीए गठबंधन को बढ़त मिलेगी या फिर महागठबंधन का जलवा कायम रहेगा।
चर्चा होना भी स्वाभाविक है क्योंकि 2015 के विधानसभा चुनाव में बेगूसराय के सभी सात सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला हुआ था। महागठबंधन और एनडीए के बीच के मुकाबले को वामदलों ने मिलकर त्रिकोणीय बना दिया। परिणाम लालू यादव और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले महागठबंधन के पक्ष में गया और जिले की सातों सीटों पर महागठबंधन के घटक दलों ने कब्जा जमा लिया। एनडीए के घटक दलों को पराजय झेलनी पड़ी और कई क्षेत्र में एनडीए के उम्मीदवार तीसरे पायदान पर चले गए। जिले में तब महागठबंधन के घटक दल कांग्रेस को दो, जदयू को दो और राजद को तीन सीटें मिली थीं।
जिले में बछवाड़ा और बेगूसराय की सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की। तेघड़ा, बखरी और साहेबपुर कमाल से राजद को जीत मिली। चेरियाबरियारपुर और मटिहानी की सीट तब जदयू को मिली थी। एनडीए में सीटों के तालमेल के आधार पर भाजपा ने बखरी, मटिहानी, बेगूसराय और तेघड़ा से अपने प्रत्याशी दिए थे। बछवाड़ा, चेरियाबरियारपुर और साहेबपुर कमाल से लोजपा ने कैंडिडेट उतारे थे। वामदलों में सीपीआई ने मटिहानी, तेघड़ा, बछवाड़ा ,बखरी और चेरियाबरियारपुर तथा सीपीएम ने बेगूसराय और भाकपा माले ने साहेबपुर कमाल सीट से अपने प्रत्याशी उतारे थे। इनमें सिर्फ बछवाड़ा और बखरी में सीपीआई की उपलब्धि अच्छी रही। शेष पर वामदल तीसरे पायदान पर कम वोट के साथ रहे।
राजनीतिक विश्लेषक महेश भारती कहते हैं कि राजद और कांग्रेस के परंपरागत वोटर के साथ जदयू के आधार वोट-बैंक के जुड़ने से महागठबंधन के जीत का समीकरण बदल गया। बेगूसराय विधानसभा क्षेत्र में जदयू के आधार वोट-बैंक के महागठबंधन से जुड़ने से कांग्रेस उम्मीदवार के पक्ष में समीकरण गया और उनकी जीत हुई। भाजपा और लोजपा के उम्मीदवार को वोट तो अच्छा आया। लेकिन, वे महागठबंधन के आगे टिक नहीं सके। बेगूसराय, तेघड़ा, मटिहानी में भाजपा के उम्मीदवार दूसरे नंबर पर तो रहे, लेकिन वोटों का अंतर काफी रहा। इसी तरह चेरिया बरियारपुर और साहेबपुर कमाल में लोजपा काफी वोटों के अंतर से पीछे रही।
अब 2020 का चुनाव सामने है, इसमें जदयू एनडीए के साथ है। 2010 में भी भाजपा और जदयू साथ चुनाव लड़े थे। तब जिले में भाजपा को तीन, जदयू को तीन सीटें मिली थी, एक सीट बछवाड़ा सीपीआई ने जीती थी। फिलहाल राजनीतिक उथल-पुथल के बीच जिले से सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में सभी दल के उम्मीदवारों की लंबी फौज पटना से दिल्ली तक लॉबिंग कर रही है। उम्मीद है कि दो-तीन दिन में सब कुछ फाइनल हो जाएगा। उसके बाद पता चलेगा कि जनता किसके पक्ष में किसे अपना सरताज चुनती है और किसे नकार ती है। लोग नीतीश और मोदी की बातों पर विश्वास करते हैं या फिर महागठबंधन या अन्य गठबंधन पर।