बिहार विधानसभा चुनाव : दल और प्रत्याशी के गणित में उलझ रहा है समीकरण
बेगूसराय। बिहार में गठबंधनों की उलझती राजनीति में बेगूसराय के सात सीटों की गुत्थी भी करीब-करीब उलझ चुकी है। एनडीए एवं महागठबंधन दोनों ने सीट शेयरिंग की घोषणा करती दी है। एनडीए में भाजपा बेगूसराय के तीन सीट बखरी (सु.), बेगूसराय और बछवाड़ा से चुनाव लड़ेगी। जबकि जदयू साहेबपुर कमाल, चेरिया बरियारपुर, मटिहानी और तेघड़ा से चुनाव लड़ेगी। महागठबंधन की ओर से भाकपा ने तीन विधानसभा बखरी (सु.), तेघड़ा एवं बछवाड़ा तथा माकपा ने मटिहानी प्रत्याशी के नाम की घोषणा भी कर दिया है। राजद के हिस्से में गई दो एवं कांग्रेस के एक सीट से अभी किसी दल ने घोषणा नहीं किया है।
इधर दोनों गठबंधन में सीट शेयरिंग के फार्मूला की घोषणा और प्रत्याशियों के चयन बाद यहां की राजनीति में जलजला आ गया। बछवाड़ा की सीट कांग्रेस की सीटिंग सीट है, यहां से 2015 में कांग्रेस के रामदेव राय जीते थे। पिछले महीने रामदेव राय के निधन बाद उनके पुत्र यहां से टिकट के दावेदार थे और सीटिंग सीट की वजह से इसका कांग्रेस कोटे में जाना तय माना जा रहा था। लेकिन, यह सीट भाकपा के हिस्से में चली गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां दोस्ताना मैच होता है या फिर भाकपा ही लड़ती है। इसी तरह मटिहानी से कांग्रेस के उम्मीदवार अभय कुमार सिंह सार्जन, राजकुमार सिंह या निशांत सिंह के उतरने की चर्चा थी और ये पूरी तैयारी में थे। लेकिन यह सीट माकपा को दे दी गई है। माकपा यहां से कभी नहीं जीती है और ना ही दूसरे स्थान पर रही है, कांग्रेसी इसे पचा नहीं पा रहे हैं।
इसी तरह बखरी राजद की सीटिंग सीट है तथा उसने अपने विधायक का टिकट काटकर यह सीट भाकपा को दे दिया है, जिससे राजद का खेमा मायूस है। राजद के साथ-साथ कांग्रेस के कार्यकर्ता वामदल के प्रत्याशी को पचा नहीं पा रहे हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि गठबंधन आज के समय की मांग है। लेकिन नेतृत्व को इस पर विचार करना होगा। बात करें अगर एनडीए की करें तो भाजपा ने बेगूसराय, बखरी और बछवाड़ा अपने पाले में लेकर प्रत्याशियों के नाम तय कर लिए हैं। जिसके बाद शेष दावेदारों में हड़कंप मच गया है, अंदर ही अंदर बगावत के सुर पनपने लगा है और चुनाव में कुछ अलग होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
जदयू के हिस्से में मटिहानी, तेघड़ा, चेरिया बरियारपुर और साहेबपुर कमाल की सीट गई है। मटिहानी में पिछले चार चुनाव से बोगो सिंह विधायक बनते आ रहे हैं, यहां एनडीए में बगावत नहीं है। लेकिन भाजपा को यह सीट तथा हम दावेदारी करें की इच्छा रखने वाले प्रत्याशी भीतरघात कर सकते हैं। बेगूसराय सदर पर भाजपा अगड़ा-पिछड़ा समीकरण में उलझ सकता है। पूरे जिला में सबसे अधिक दावेदार भाजपा में यहीं से थे और टिकट से वंचित दावेदार अलग-अलग तरीके से एनडीए के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। तेघड़ा में राजद के निवर्तमान विधायक रहे विरेन्द्र महतों जदयू में चले आए हैं। लेकिन जदयू और भाजपा के कोई भी कार्यकर्ता उन्हें पचा नहीं पा रहे हैं तथा बगावत तेज हो गया है। गुरुवार तक एक दर्जन से अधिक प्रमुख कार्यकर्ता इस्तीफा देने की तैयारी में हैं।
सबसे खराब स्थिति साहेबपुर कमाल की है, जहां माय समीकरण को ध्वस्त करने की तैयारी कर चुकी भाजपा कि यह सीट जदयू के पाले में चली गई है। यहां से भाजपा के ही एक नेता के दल-बदल कर चुनाव लड़ने की पूरी संभावना है। फिलहाल सभी जगहों पर दोनों गठबंधन के टिकट से वंचित किए गए दावेदार अब नया गुल खिला रहे हैं। वंचित किए गए दावेदार अपने दल के प्रत्याशी को हराने के लिए नए-नए दांव और नया समीकरण बैठाकर नई तैयारी कर रहे हैं।