SC से मदरसों को बड़ी राहत: मदरसा एक्ट को संवैधानिक माना
SC ने मदरसा एक्ट को संवैधानिक रूप से मान्यता देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य के मदरसों को मान्यता मिलने और उनके संचालन में स्थायित्व की उम्मीद जगाई।
भारत के SC ने मदरसा एक्ट को संवैधानिक रूप से मान्यता देते हुए हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया। चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य के मदरसों को मान्यता मिलने और उनके संचालन में स्थायित्व की उम्मीद जगाई। कोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को संवैधानिक मूल्यों के अनुरूप और धार्मिक अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करने वाला बताया। इस फैसले से मदरसा शिक्षा में सुधार और व्यवस्थित संचालन के मार्ग प्रशस्त हो सकते हैं।
मदरसा एक्ट को संवैधानिक माना
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SC ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को संविधान के अनुच्छेद 30(1) के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों के शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा करने वाला पाया। कोर्ट ने माना कि एक्ट की उद्देश्यों और इसके लागू होने से धार्मिक अल्पसंख्यकों को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता। इसका मुख्य उद्देश्य मदरसों के संचालन को नियमित करना और सुनिश्चित करना था कि उन्हें सरकारी मान्यता प्राप्त हो।
सरकार को मदरसा शिक्षा के नियम बनाने की अनुमति
SC ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार को मदरसा शिक्षा को लेकर नियम बनाने का अधिकार है। यह कदम मदरसा शिक्षा को अधिक व्यवस्थित करने और उसे वैधता देने के लिए उठाया जा सकता है। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि किसी भी छात्र को धार्मिक शिक्षा के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। यानी, यदि कोई छात्र या उसके माता-पिता इस शिक्षा को नहीं चाहते, तो उन्हें इससे मजबूर नहीं किया जा सकता।
फाजिल और कामिल डिग्री पर रोक
SC ने यह आदेश भी दिया कि मदरसा बोर्ड “फाजिल” और “कामिल” जैसी उच्च डिग्रियों को प्रदान नहीं कर सकता, क्योंकि ये डिग्रियां यूजीसी (University Grants Commission) अधिनियम के विपरीत हैं। मदरसों को इस तरह की डिग्री देने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह उच्च शिक्षा के मानकों के खिलाफ है और इसे विश्वविद्यालयों के अंतर्गत लाया जाना चाहिए।
हाईकोर्ट का रद्द किया गया फैसला
पहले, राज्य के उच्च न्यायालय ने मदरसा एक्ट को असंवैधानिक करार देते हुए उसे रद्द कर दिया था, जिससे मदरसों के संचालन में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को पलटते हुए मदरसा एक्ट को वैध और संवैधानिक बताया, जिससे मदरसों को फिर से मान्यता और स्थिरता प्राप्त होगी।
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सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय मदरसों के लिए एक बड़ी राहत लेकर आया है। इस फैसले के बाद, मदरसा शिक्षा को अधिक व्यवस्थित और कानूनी ढंग से संचालित किया जा सकेगा। साथ ही, यह धार्मिक अल्पसंख्यकों के शिक्षा अधिकारों की रक्षा भी करेगा।