बड़ी खबर ! ट्रैक्टर रैली पर SC में सुनवाई टली, पहले सरकार फैसला ले – कोर्ट
नई दिल्ली : केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 55 दिनों से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की 26 जनवरी को प्रस्तावित ट्रैक्टर राली पर सुप्रीम कोर्ट में आज होने वाली सुनवाई टल गई है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर सरकार अपना रूख पहले स्पष्ट करे। दिल्ली में कौन आएगा इसका फैसला दिल्ली पुलिस को करना है। मामले पर अगली सुनवाई बुधवार (20 जनवरी) को होगी।
इससे पहले, किसान नेताओं ने ऐलान किया है कि जब तक देश की सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती। तब तक वह आंदोलन करते रहेंगे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए सरकार को चेतावनी दी है कि वह मई 2024 तक आंदोलन करेंगे। वह कहते हैं कि यह वैचारिक क्रांति है जो कि मई 2024 तक चलेगी। बता दें आज इसी मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली थी |
सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश होने से किया मना
सुप्रीम कोर्ट ने बता दें इससे पहले किसान प्रदर्शन को खत्म कराने और किसानों की बात सुनने के
लिए एक कमेटी का गठन किया था।
इस कमेटी का काम था किसानों की बात को कोर्ट तक पहुंचाए।
कोर्ट ने इससे पहले तीनों कृषि कानूनों को अस्थायी तौर पर स्थगित कर दिया था।
बता दें कोर्ट द्वारा बनाई गई कमेटी को किसानों ने मान्यता नहीं दी है।
किसानों ने मना किया है कि वह कमेटी के सामने अपना पक्ष नहीं रखेंगे।
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अपना रुख साफ किया
बता दें इससे पहले 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड और एनआईए (NIA) के नोटिस को लेकर किसान
संगठनों ने अपना रुख साफ किया है।
किसान यूनियनों का कहना है कि 26 जनवरी को किसान दिल्ली में बाहरी रिंग रोड पर ट्रैक्टर परेड
निकालेंगे।
इसमें देशभर से किसान शामिल होंगे।
इसके साथ ही राज्यों में भी किसान ट्रेक्टर परेड निकालेंगे।
इस साथ ही 40 से ज्यादा किसानों को एनआईए के नोटिस पर भी किसान नेताओं ने अपने जज्बात
शेयर किए।
सुुप्रीम कोर्ट से नई समिति बनाने का अनुरोध
वहीं एक किसान संगठन ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया है
कि तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए बनाई गई समिति से
शेष तीन सदस्यों को हटाया जाए।
साथ ही ऐसे लोगों को उस में रखा जाए जो परस्पर सौहार्द के आधार पर काम कर सकें।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर कही ये बात
बता दें कि किसानों के केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि हमने किसान यूनियनों को
एक प्रस्ताव भेजा था जिसमें हम मंडियों, व्यापारियों के पंजीकरण और अन्य के बारे में उनकी
आशंकाओं को दूर करने पर सहमत हुए थे।
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार ने स्टबल बर्निंग एंड इलेक्ट्रिसिटी पर कानूनों पर चर्चा
के लिए भी सहमति दी लेकिन यूनियन केवल कानूनों को निरस्त करना चाहती हैं।
अधिकांश किसान और विशेषज्ञ कृषि कानूनों के पक्ष में हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, कानूनों को लागू नहीं किया जा सकता है।
अब हम उम्मीद करते हैं कि किसान 19 जनवरी को कानून के खंड-वार पर चर्चा करेंगे और सरकार
को बताएंगे कि वे कानूनों के निरसन के अलावा क्या चाहते हैं।