PM Modi का बड़ा फैसला, जानिए क्या
समान नागरिक संहिता को लेकर नागरिकों और संस्थाओं से सुझाव आमंत्रित किए गए थे। इस संबंध में व्यापक चर्चा के लिए रिफार्म आफ फैमिली ला के शीर्षक से एक परामर्श पत्र भी जारी किया गया है। जैसे ही विधि आयोग की रिपोर्ट प्राप्त होगी, इसे लागू करने की प्रक्रिया केंद्र सरकार शुरू कर देगी।
यह मजमून है उस जवाबी पत्र का जो इंदौर की संस्था न्यायाश्रय को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कार्यालय ने भेजा है। संस्था के अध्यक्ष अधिवक्ता पंकज वाधवानी ने बताया कि हिजाब विवाद के बाद बने अस्थिरता के माहौल को हमेशा के लिए समाप्त करने के उद्देश्य से संस्था ने देश में समान नागरिक संहिता लागू करने की मांग करते हुए प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय को पत्र लिखा था। हाल ही में संस्था को दोनों कार्यालयों से जवाब प्राप्त हुए हैं। इसमें कहा गया है कि शीघ्र ही देश में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। इसके लिए विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है।
वाधवानी ने बताया कि पत्र में हमने कहा था कि कर्नाटक के स्कूली शिक्षा अधिनियम के तहत उठे हिजाब विवाद को राष्ट्र विरोधी तत्वों ने वैश्विक छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से नया मोड़ दे दिया। राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा नागरिकों में यह भावना उत्पन्ना करने का प्रयास किया जा रहा है कि देश में अल्पसंख्यक खतरे में हैं। इन तत्वों का उद्देश्य देश में अस्थिरता लाना और सामाजिक वैमनस्यता फैलाना है। शैक्षणिक संस्थानों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों में किसी प्रकार का कोई धर्म, लिंग, जाति, रंग, वर्ण, जन्म स्थान इत्यादि का भेदभाव न हो, इसलिए पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू करना जरूरी है।
संविधान में है समान नागरिक संहिता लागू करने की बात
संस्था द्वारा लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया कि संविधान में ही अनुच्छेद 44 के अंतर्गत समान नागरिक संहिता को लागू किए जाने की बात कही गई है। डा. भीमराव आंबेडकर ने भी देश में समान नागरिक संहिता लागू किए जाने की बात पर जोर दिया था। इसके बावजूद अब तक इसे क्रियान्वित नहीं किया गया।