गुरनाम ने संयुक्त किसान मोर्चे से किया किनारा
योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत पर लगाया सौतेले व्यवहार का आरोप; बैठकों में शामिल नहीं होने का फैसला किया
भारतीय किसान यूनियन हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी, जिन्हें संयुक्त किसान मोर्चे से सस्पेंड किया जा चुका है।
हरियाणा से किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने अपने आप को संयुक्त किसान मोर्चा से अलग कर लिया है। उन्होंने किसान नेता योगेंद्र यादव और राकेश टिकैत पर आरोप लगाए हैं। वह अब मोर्चे की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे। इससे पहले उन्हें पंद्रह दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया था औेर अब उन्होंने खुद अलग होने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि पंजाब के किसान संगठन पिछले समय के दौरान उनसे सौतेला व्यवहार कर रहे हैं और यही कारण है कि उन्होंने यह फैसला लिया है, मगर वह मोर्चे की तरफ से लिए जाने वाले फैसलों का स्वागत करते हुए उन्हें मानते रहेंगे, ताकि किसान मोर्चा टूटे नहीं।
पंजाब में लगातार सक्रिय हो रहे हैं चढूनी
बता दें कि हरियाणा के किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी लगातार पंजाब में सक्रिय हो रहे हैं। उनकी ओर से पंजाब में किसानों को चुनाव लड़ने की सलाह भी दी थी और इस कारण ही उन्हें पंद्रह दिन के लिए सस्पेंड किया गया था। इसके बाद भी वह पंजाब में लगातार आ रहे हैं। वह कल ही दिल्ली में डेरा बाबा नानक से किसानों का ज्त्था लेकर वहां पहुंचे थे और इस पर ही विवाद खड़ा हो गया।
किसान नेताओं को मीटिंग से निकालने पर हुआ विवाद
गुरनाम सिंह चढूनी का आरोप है कि पगड़ी संभाल लहर से सतनाम सिंह, माझा किसान यूनियन संघर्ष कमेटी से गुरप्रीत सिंह, पंजाब फैडरेशन गुरदासपुर से इंद्रपाल सिंह, किसान यूनियन माझा गुरमुख सिंह को मीटिंग से निकाल दिया गया है। इनका कसूर यह था कि वह गुरनाम सिंह चढूनी की अगुवाई में जत्था लेकर यहां पहुंचे हैं और इन्हें मीटिंग से धक्के मारकर निकाला गया है।
उन्होंने योगेंद्र यादव पर बड़ा आरोप लगाया है। उनका कहना है कि योगेंद्र यादव ने उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा और पोस्टर पर संयुक्त किसान मोर्चे के समर्थन की बात लिखी थी, यही नहीं राकेश टिकैत की ओर से भाजपा के नेताओं को किसानों की संसद में अध्यक्ष लगाया गया है। उन पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और उन्हें (गुरनाम चढूनी) को लगातार निशाने पर लिया जा रहा है।
नौ माह से चल रहा है किसानों का प्रदर्शन
किसान पिछले नौ माह से दिल्ली के बार्डरों पर कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले साल जब नवंबर माह में किसानों ने दिल्ली कूच किया तो रास्ते में जगह जगह किसानों को रोकने का प्रयास किया गया था। मगर गुरनाम सिंह चढूनी की ही अगुवाई में किसानों ने बैरिकेड्स तोड़े थे, सड़क पर रखे गए पत्थरों को साइड किया थाा। अब हरियाण और पंजाब के नेताओं मे मन मुटाव देखने को मिल रहा है।