कांग्रेस को बड़ा झटका, प्रदेश उपाध्यक्ष गयादीन अनुरागी ने दिया इस्तीफा

लखनऊ. उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) को लेकर इन दिनों कांग्रेस भले ही UP प्रभारी प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के नेतृत्व में युद्धस्तर पर तैयारी करते हुए नजर आ रही है. लेकिन इस बीच उत्तर प्रदेश कांग्रेस में जारी अन्तर्कलह से आहत होकर एक के बाद एक कांग्रेस के बड़े नेताओं के इस्तीफे से पार्टी को लगातार झटके भी लग रहे हैं.

पहले यूपी के कद्दावर ब्राह्मण नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जितिन प्रसाद और पूर्व सांसद अन्नू टंडन ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया. फिर प्रियंका गांधी के पिछले लखनऊ दौरे के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के पौत्र और कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष ललितेशपति त्रिपाठी नें भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था. अब प्रियंका फिर लखनऊ दौरे पर हैं और गुरुवार को कांग्रेस के मौजूदा प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक गयादीन अनुरागी ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया है. यही नहीं पश्चिमी यूपी के कद्दावर नेता इमरान मसूद के भी जल्द कांग्रेस छोड़ने की चर्चा है.

UP कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारियों से आहत होकर दिया इस्तीफा: गयादीन

कांग्रेस के दिग्गज नेता और हमीरपुर जिले की राठ विधानसभा से विधायक रहे प्रदेश उपाध्यक्ष गयादीन अनुरागी ने अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे गये अपने इस्तीफे में लिखा है कि ‘मैं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के उच्च पदाधिकारियों की कार्यशैली एवं निष्क्रियता को देखते हुए अपने आप को पार्टी में काम करने में असहज महसूस कर रहा हूं. इसलिये मैं उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी से अपने समस्त पदों के साथ पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्याग पत्र दे रहा हूं.’

जहां बेदर्द हाकिम हो, वहां फरियाद क्या करना…

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गयादीन अनुरागी ने  बात करते हुए कहा, ‘मेरा कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष से तालमेल नहीं बैठ रहा था. मैं जो बात प्रदेश अध्यक्ष जी से करता था, वो उसे नजरअंदाज कर रहे थे. हमारी बात नहीं सुनी जा रही थी. आदमी का सब कुछ चला जाय, मान-सम्मान नहीं जाना चाहिए. चाहे जितनी गरीबी हो जाये, पर हाल बताना न चाहिए, जिस घर में अपना मान नहीं, उस घर में जाना न चाहिए.”

उन्होंने कहा, “मैंने प्रियंका गांधी जी के पीए राजकुमार से कई बार मैडम से बात करवाने के लिये बात की. लेकिन उन्होंने कोई बात नहीं की. हर चीज की कोई सीमा होती है. इसलिये हम बैठक में नहीं जा रहे थे. तो वो हमारी लीडर है, तो उन्हे पता होना चाहिए कि हम क्यों नाराज हैं? लेकिन लीडर ही ये नहीं समझ पा रहा कि उनके कार्यकर्ता और पदाधिकारी क्यों नाराज हैं? इसलिये कहा जाता है कि जहां बेदर्द हाकिम हो, वहां फरियाद क्या करना? इन्हीं सबके बाद मैंने इस्तीफा दे दिया है.’

Related Articles

Back to top button