जल संरक्षण के लिये द्विवार्षिक योजना तैयार :सीएम
चंडीगढ़, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा है कि पानी का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है और पानी की हर बूंद को बचाने तथा इसके उचित प्रबंधन के लिए राज्य सरकार ने एक द्विवार्षिक योजना तैयार की है जिसका उद्देश्य पानी का उपयोग और उपचारित पानी का पुन: उपयोग सुनिश्चित करना है।
उन्होंने कहा कि जल प्रबंधन से संबंधित इन सभी कार्यों को एक मिशन मोड पर किया जाए। प्रत्येक विभाग को इस सिद्धांत से कार्य करने की आवश्यकता है कि लोगों को पीने का पानी प्रदान करना जितना जरूरी है उतना ही पानी का उचित प्रबंधन सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है। इसलिए, ग्रे-वॉटर मैनेजमेंट को प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री आज यहां वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी उपायुक्तों और अधिकारियों के साथ शिवधाम नवीनीकरण योजना और ग्रे वाटर मैनेजमेंट की समीक्षा बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। बैठक में उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन में ग्रे-वॉटर प्रबंधन पर विशेष बल दिया गया है। सभी गाँवों में ग्रे-वॉटर प्रबंधन की आवश्यकता है, इसलिए सभी संबंधित अधिकारी और उपायुक्त ग्रे-वॉटर प्रबंधन हेतु परियोजनाएं तैयार कर 30 जून तक प्रस्ताव भेजें। ऐसी सभी परियोजनाओं को ग्राम पंचायत विकास योजना (जीपीडीपी) में दर्शाया जाना चाहिए। इसके अलावा, संबंधित विभागों के साथ तालमेल करके ग्राम पंचायतवार परियोजनाएं तैयार की जाएं। परियोजनाएं तैयार करते समय यह सुनिश्चित किया जाए कि कोई बड़ा गांव न छूटे।
श्मुरी खट्टर ने निर्देश दिए कि कृषि, बागवानी विभाग, स्कूलों और उद्योगों के साथ नियमित बैठकें की जाएं और यह सुनिश्चित किया जाए इन सभी स्थानों पर जहां भी पानी की आवश्यकता है वहां केवल उपचारित पानी का ही उपयोग किया जाए।
मुख्यमंत्री ने शिवधाम नवीनीकरण योजना के बारे में उपायुक्तों को निर्देश देते हुए कहा कि परियोजनाओं में लोगों की कम से कम 50 फीसदी भागीदारी के साथ शमशान घाटों /कब्रिस्तान में किए जाने वाले कार्यों को पूरा करवाएं। उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के लिए ग्राम पंचायत के वित्त पोषण, सीएसआर या अन्य माध्यम से जनता की भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है।
उन्होंने उपायुक्तों को शिवधाम नवीनीकरण योजना के तहत कार्यों को पूरा करने के लिए जिला खनिज निधि (खान और भूविज्ञान विभाग) का उपयोग करने की संभावना तलाशने के भी निर्देश दिए।