आजादी के बाद भी यहां फहराया जाता थाकाला-सफेद और हरा झंडा , जानें क्यों…
Independence Day 2021: भोपाल के सामंती राज्य में जो ध्वज फहराया जाता था, उसका रंग नारंगी-सफेद-हरा नहीं था, बल्कि काला-सफेद और हरा था….
भोपाल। भोपाल भारत में तो था, पर इसका अंग नहीं था। ये लाइन भले ही आपको अजीब लगे, पर ये सच है। आजादी के दो साल बाद तक भोपाल रियासत थी, ये भारत का अंग नहीं थी, पर 1 जून 1949 को भोपाल रियासत का भारत में विलय हुआ। इस विलय के पहले तक भोपाल में तिरंगा नहीं फहराया जाता था। इस रियासत का अपना अलग ध्वज था।
भोपाल के सामंती राज्य में जो ध्वज फहराया जाता था, उसका रंग नारंगी-सफेद-हरा नहीं था, बल्कि काला-सफेद और हरा था। तस्वीर में जिस झंडे को दिखाया गया है, यही भोपाल के सामंती राज्य का झंडा था, जो कि भारतीय संघ में रियासत के विलय तक फहराया जाता रहा। रियासत में 1 जून 1949 को ही पहली बार भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया गया था। आइए जानते हैं भोपाल से जुड़ी कुछ और दिलचस्प बातें….
1. देश में ऐसे कई क्षेत्र हैं जो 15 अगस्त 1947 को आजाद नहीं हुए थे। कई रियासतें भारत में शामिल की गईं, इनमें भोपाल का विलय सबसे आखिर में हुआ।
2. भोपाल रियासत की स्थापना 1723-24 में औरंगजेब की सेना के योद्धा दोस्त मोहम्मद खान ने सीहोर, आष्टा, खिलचीपुर और गिन्नौर को जीत कर की थी।
3. 1728 में दोस्त मोहम्मद खान की मौत के बाद उसके बेटे यार मोहम्मद खान भोपाल रियासत को पहला नवाब बना।
4. मार्च 1818 में जब नजर मोहम्मद खान नवाब थे तो एंग्लो भोपाल संधि के तहत भोपाल रियासत भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य की प्रिंसली स्टेट हो गई।
5. 1926 में उसी रियासत के नवाब बने थे हमीदुल्लाह खान। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से शिक्षित नवाब हमीदुल्लाह दो बार 1931 और 1944 में चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर बने तथा भारत विभाजन के समय वे ही चांसलर थे।
6. आजादी का मसौदा घोषित होने के साथ ही उन्होंने 1947 में चांसलर पद से त्यागपत्र दे दिया। वे रजवाड़ों की स्वतंत्रता के पक्षधर थे।
7. नवाब हमीदुल्लाह नेहरू और मोहम्मद अली जिन्ना दोनों के मित्र थे। 14 अगस्त 1947 तक वह कोई फैसला नहीं ले पाए। जिन्ना उन्हें पाकिस्तान में सेक्रेटरी जनरल का पद देकर वहां आने कहा।
8. 13 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी आबिदा को भोपाल रियासत का शासक बन जाने को कहा।
9. आबिदा ने इससे इनकार कर दिया। मार्च 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ने भोपाल के स्वतंत्र रहने की घोषणा कर दी।
10. मई 1948 में नवाब ने भोपाल सरकार का एक मंत्रिमंडल घोषित कर दिया। प्रधानमंत्री चतुरनारायण मालवीय बनाए गए। तब तक भोपाल रियासत में विलीनीकरण के लिए विद्रोह शुरू हो गया।
चतुर नारायण ने बदला पाला
अब तक नवाब के सबसे खास रहे चतुर नारायण ने विलीनीकरण के पक्ष में हो गए। आजादी का आंदोलन शुरू हो गया ।अक्टूबर 1948 में नवाब हज पर चले गए। दिसंबर 1948 में भोपाल के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन होने लगे। 23 जनवरी 1949 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा को आठ माह के लिए जेल भेज दिया गया। इस बीच सरदार पटेल ने सख्त रवैया अपनाकर नवाब के पास संदेश भेजा कि भोपाल स्वतंत्र नहीं रह सकता। भोपाल को मध्यभारत का हिस्सा बनना ही होगा।