FBI एक्सपर्ट को बुलाने में नाकाम रही CBI
भंवरी प्रकरण में 41 समन के बावजूद अमेरिका से गवाही देने नहीं आई एक्सपर्ट, CBI की मुश्किलें बढ़ीं, हत्या व अपहरण को कोर्ट में साबित करना चुनौती
भंवरी देवी की फाइल फोटो।
भंवरी प्रकरण में अमेरिका से FBI की एक्सपर्ट अंबर बी कार को बुलाने में नाकाम रही CBI की मुश्किलें बढ़ गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बुलाने के लिए CBI को 8 सप्ताह की मोहलत दी थी। यह अवधि 16 सितंबर को पूरी हो गई। कोर्ट अंबर बी कार को गवाही देने के लिए 41 बार समन जारी कर चुका है। अब CBI के सामने भंवरी के अपहरण व हत्या को कोर्ट में साबित करने की बड़ी चुनौती है। इस मामले में मुश्किल बढ़ती देख CBI अन्य विकल्प पर भी विचार कर रही है।
अमेरिकी नियम आ रहे आड़े
CBI ने राजीव गांधी लिफ्ट नहर से बरामद हड्डियों को भंवरी की होने का दावा किया था। इन हड्डियों की जांच अमेरिका की जांच एजेंसी Federal Bureau of Investigation (FBI) के सहयोग से कराई गई। भंवरी के दो बच्चों के डीएनए से मिलान कर FBI की फॉरेंसिक एक्सपर्ट अंबर बी कार ने घोषणा की थी कि यह हड्डियां भंवरी की ही हैं। अमेरिकी नियमों से बंधी अंबर बी कार एक बार भी कोर्ट में पेश नहीं हो सकीं। अब CBI की अंबर बी कार की गवाही कराने को लेकर दायर SLP को खारिज माना जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 21 सितंबर 2021 को प्रस्तावित है।
अब आगे क्या?
CBI के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अब तक गढ़ी गई कहानी को कोर्ट में साबित करे। इसके लिए अंबर बी कार की गवाही सबसे अधिक महत्वपूर्ण है। CBI जांच की इस महत्वपूर्ण कड़ी के टूटने का असर पूरे मामले पर पड़ सकता है। ऐसे में अब CBI एक बार फिर नए सिरे से अंबर बी कार को बुलाने के लिए याचिका दायर कर सकती है। माना जा रहा है कि CBI हाईकोर्ट में नए सिरे से याचिका दायर कर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये अंबर बी कार को अपने बयान देने की अनुमति देने की मांग कर सकती है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
विधि विशेषज्ञों का मानना है कि इस केस में CBI को ही साबित करना है कि किस तरह अपहरण के बाद भंवरी की हत्या की गई और उसकी लाश को जला अस्थियों को लिफ्ट नहर में बहा दिया गया। यह साबित करने में FBI की रिपोर्ट सबसे अहम कड़ी है। यदि अंबर बी कार की गवाही नहीं हो पाती है तो निश्चित तौर पर CBI का दावा कमजोर होगा। ऐसे में उसे इस हत्याकांड से जुड़ी अन्य कड़ियों को एक बार फिर से जोड़ना होगा।
यह है भंवरी प्रकरण
31 अक्टूबर 2011 को बोरुंदा निवासी एएनएम भंवरी लापता हो गई। उसके पति अमरचंद ने 1 सितंबर 2011 को थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। 15 सितंबर 2011 को एसीजेएम कोर्ट में भंवरी को लेकर उसके पति अमरचंद ने इस्तगासा पेश किया। कोर्ट ने पुलिस को मामले की जांच शुरू करने का आदेश दिया। पुलिस जांच आगे बढ़ाती, तब तक राज्य सरकार ने अक्टूबर 2011 में मामले की जांच CBI को सौंप दी। CBI ने दिसंबर तक तत्कालीन मंत्री महिपाल मदेरणा, विधायक मलखान सिंह विश्नोई सहित कुल 16 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के बाद मलखान की बहन इंद्रा गायब हो गई। उसकी काफी खोजबीन की गई, लेकिन वह नहीं मिल पाई। CBI ने उस पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित किया। आखिरकार वर्ष 2017 में मध्य प्रदेश में शिप्रा नदी के किनारे साध्वी के रूप में रहने वाली इंद्रा को पकड़ा जा सका। इस मामले में CBI ने 196 गवाह के बयान कराए। अब मुल्जिम बयान हो चुके हैं। बचाव पक्ष को अपने साक्ष्य यानि गवाह पेश करने हैं। सभी आरोपी जमानत पर जेल से बाहर आ चुके हैं।