बंगाल में अब रबींद्रनाथ टैगोर के रंग पर तकरार, बीजेपी-टीएमसी में बढ़ा विवाद

 

 

केंद्रीय मंत्री सुभाष सरकार की उस टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया है जिसमें उन्होंने कहा था कि नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर की मां ने बचपन में उन्हें गोद में इसलिए नहीं लिया क्योंकि ‘उनका रंग गोरा नहीं था।’ मंत्री की इस टिप्पणी पर पश्चिम बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने नाराजगी जताते हुए इसे राज्य की शख्सियत का ‘अपमान’ करार दिया है।

हालांकि, बीजेपी ने मंत्री सुभाष सरकार का बचाव करते हुए कहा कि उनकी टिप्पणी ‘नस्लवाद’ के खिलाफ थी। केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री ने टैगोर द्वारा स्थापित विश्व भारती विश्वविद्यालय की यात्रा के दौरान यह टिप्पणी की।

टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी ने सरकार की टिप्पणी को लेकर कहा, ‘सुभाष सरकार को इतिहास नहीं पता। यह सब जानते हैं कि रबींद्रनाथ टैगोर की त्वचा का रंग गोरा था। यह नस्लवादी टिप्पणी है और बंगाल का अपमान है। सुभाष सरकार को दोबारा कभी विश्वा भारती में घुसने नहीं देना चाहिए।’

सीपीआईएम ने भी बयान की निंदा की है। पार्टी के सेंट्रल कमेटी के सदस्य सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि इस तरह के बयान बीजेपी की नस्लवादी और बंगाली विरोधी सोच को दिखाते हैं।

मंत्री ने छोटी संख्या में मौजूद लोगों के सामने कहा कि टैगोर परिवार के अन्य सदस्यों का रंग ‘चमकदार पीला गोरा’ था। उन्होंने कहा कि टैगोर गोरे थे लेकिन उनकी त्वचा पर लाल रंग की आभा थी।

उन्होंने कहा, ‘दो तरह की गोरी त्वचा वाले लोग होते हैं। एक जो पीले रंग की आभा के साथ बहुत गोरे होते हैं और दूसरे जो गोरे होते हैं लेकिन लाल रंग की आभा का प्रभाव होता है। टैगोर दूसरी श्रेणी के थे।’ सुभाष सरकार ने कहा कि टैगोर का रंग अधिक गोरा नहीं होने के कारण उनकी मां और परिवार के कई अन्य सदस्य रवींद्रनाथ को गोद में नहीं लेते थे।

 

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