‘राजेश खन्ना की वजह से फिल्मों का स्तर गिरा, जानिए क्यों नसीरुद्दीन शाह ने कही ये बात
मुंबई: 71साल के दिग्गज एक्टर नसीरुद्दीन शाह (Naseeruddin Shah) अपनी बातों को बेबाकी से रखने के लिए जाने जाते हैं. फिल्म इंडस्ट्री को करीब से देखने और समझने वाले नसीरुद्दीन का मानना है कि 1970 के दशक में औसत दर्जे की हिंदी फिल्मों की शुरुआत राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) की वजह से हुई. इनके मुताबिक बॉलीवुड में कुछ भी नहीं बदला. आज भी वही हो रहा है जो 50 साल पहले होता था. फोटोग्राफी और एडिटिंग में काफी बदलाव आया है, अच्छा काम हो रहा है लेकिन सब्जेक्ट वही घिसे-पिटे हैं जो 70 के दशक में थे. इसके लिए नसीरुद्दीन काफी हद तक राजेश खन्ना को जिम्मेदार ठहराते हैं.
राजेश खन्ना को नसीरुद्दीन ने बताया था पूअर एक्टर
राजेश खन्ना ऐसे एक्टर हैं जिनके स्टारडम को आजतक कोई छू नहीं पाया है. लेकिन उनके बारे में कई एक्टर्स की राय कुछ हटकर है. ऐसे ही एक बार मीडिया से बात करते हुए नसीरुद्दीन शाह ने दिवंगत एक्टर राजेश खन्ना के बारे में काफी खुलकर अपनी राय रखी थी. नसीरुद्दीन के मुताबिक ‘वास्तव में 70 का ही दशक था जब औसत फिल्मों का निर्माण शुरू हुआ. यह वही समय था जब राजेश खन्ना ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा था. उनकी तमाम सफलताओं और स्टारडम के बावजूद मैं उन्हें एक पूअर एक्टर मानता हूं. मैं जब भी उनसे मिला वह मुझे इंटलेक्चुएली भी बहुत अलर्ट नहीं लगे’. राजेश खन्ना ने इंडस्ट्री पर राज किया. 1969 में ‘आराधना’,1971 में ‘हाथी मेरे साथी’ और 1971 में ही ‘आनंद’ जैसी हिट फिल्में दी.
नसीरुद्दीन शाह ने कहा था कि ‘70 के दशक में कंटेट पर सबसे कम काम हुआ. स्क्रिप्ट की क्वालिटी, एक्टिंग, म्यूजिक और लिरिक्स, सब के स्तर में काफी गिरावट आई. हां कलर जरूर आ गया था. आप हीरोइन को पर्पल ड्रेस और हीरो को लाल रंग की शर्ट पहना दें, कश्मीर चले जाए और फिल्म बना ले. आपको किसी स्टोरी की जरूरत ही नहीं थी. यह ट्रेंड जारी है और मुझे लगता है कि मिस्टर खन्ना का इससे काफी कुछ लेना देना है क्योंकि वह उन दिनों वह भगवान थे’.
‘नई पीढ़ी भी लीक से हटकर काम नहीं कर रही’
नए जमाने के एक्टर भी नसीरुद्दीन को कुछ खास इम्प्रेस नहीं करते. नसीरुद्दीन का कहना था कि ‘वे दावा करते हैं कि उन्हें सिनेमा से प्यार हैं, लेकिन वे बना क्या रहे हैं ? अपनी आने वाली 10 पीढ़ियों को आर्थिक रुप से सुरक्षित बनाने में जुटे है, लीक से हटकर काम करने की हिम्मत ही नहीं दिखाते’.