BCCI को टैक्स में छूट मिलती रहेगी:ट्रिब्यूनल ने कहा- IPL के कारण बोर्ड का हक खत्म नहीं कर सकते,
जब तक क्रिकेट को प्रमोट करेंगे छूट जारी रहेगी
जस्टिस लोढा (बाएं) कमेटी की सिफारिशों के बाद BCCI के ऊपर टैक्स छूट गंवाने का खतरा मंडरा रहा था। सौरव गांगुली के बोर्ड प्रेसिडेंट बनने के बाद भी बोर्ड ने छूट जारी रखवाने की कोशिशें जारी रखी थी।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को एक बड़ी राहत मिली है। देश में इनकम टैक्स से जुड़े विवादों पर फैसला सुनाने वाली संस्था इनकम टैक्स अपैलेट ट्रब्यूनल (ITAT) ने कहा है कि बोर्ड को मिल रही टैक्स छूट जारी रहेगी। ITAT ने कहा कि BCCI की छूट सिर्फ इसलिए समाप्त नहीं कर सकते, क्योंकि वह IPL से मोटी कमाई कर रहा है। बोर्ड इनकम टैक्स एक्ट 12A के तहत बतौर एक सोसाइटी रजिस्ट्रेशन का हकदार है। जब तक वह देश में क्रिकेट को प्रमोट करता रहेगा उसे छूट जारी रहेगी।
गौरतलब है कि BCCI तमिलनाडु सोसाइटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत रजिस्टर्ड सोसाइटी है और इसी वजह से उसे टैक्स में छूट मिली हुई है। 2018 में लोढा कमेटी की सिफारिशों पर कई बदलावों के बाद यह खतरा मंडरा रहा था कि रजिस्ट्रेशन रिन्यू नहीं होगा। इसके बाद बोर्ड ने नए सिरे से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। इसे इनकम टैक्स के प्रिंसिपल कमीश्नर ने खारिज कर दिया था।
आवेदन को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि बोर्ड IPL जैसी प्रोफेशनल लीग के जरिए अरबों की कमाई कर रहा है, लिहाजा उसे सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन नहीं मिलना चाहिए। BCCI ने इस फैसले को ITAT में चुनौती दी, जहां फैसला उसके पक्ष में आया है। ITAT ने कहा कि जब तक देश में क्रिकेट को बढ़ावा देने बोर्ड का प्राथमिक लक्ष्य होगा तब तक उसे टैक्स में छूट मिलती रहेगी।
फैसला सुनाने वाले ITAT के मुंबई बेंच में ज्यूडिशियल मेंबर रवीश सूद और वाइस प्रेसिडेंट प्रमोद कुमार शामिल थे।
ज्यादा कमाई से खेल को लोकप्रिय बनाने का मकसद खत्म नहीं होता
ITAT ने फैसले में कहा-भले ही IPL का स्ट्रक्चर ऐसा है जिससे बोर्ड को बड़ी कमाई होती है, लेकिन इससे यह तय नहीं होता है कि बोर्ड क्रिकेट को बढ़ावा देने और लोकप्रिय बनाने का काम नहीं कर रहा है। इसलिए BCCI को सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराने का अधिकार जारी रहेगा, लिहाजा उसको मिलने वाली टैक्स छूट भी जारी रहेगी।
बोर्ड को दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए क्यों करना पड़ा था आवेदन
सेक्शन 12A के तहत नियम है कि अगर किसी रजिस्टर्ड संस्था की गतिविधियों में कोई बदलाव होता है तो उसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल कमीश्नर को 30 दिन के अंदर सूचित करना होगा। लोढा कमेटी की सिफारिशों पर अमल करने की वजह से बोर्ड की गतिविधियां बदली थीं। इस कारण उसने प्रिंसिपल कमीश्नर को सूचित किया और नए सिरे से रजिस्ट्रेशन हासिल करने की कोशिश की।
IT ने किया था 1325 करोड़ रुपए टैक्स का दावा
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने 2018 में एक RTI के जवाब में कहा था कि 2014-15 वित्त वर्ष के लिए BCCI के ऊपर 1325 करोड़ रुपए का टैक्स बकाया था। बोर्ड ने 864.78 करोड़ रुपए टैक्स चुकाए थे, वहीं 460.52 करोड़ रुपए छूट के नाम पर नहीं दिए थे। ITAT के ताजा फैसले के बाद बोर्ड को टैक्स में छूट जारी रहेगी।
खबरें और भी हैं…