Bahraich Violence : राम नगरी ,लाशों का खेल ,TV चैनल ,हरिशचंद्र की औलादे ,खून पीने वाली फॉर्च्यूनर और योगी सरकार
Bahraich Violence हरिशचंद्र की औलाद बताते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे आम जनता की समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं।
Bahraich Violence : लखनऊ में ग्राउंड रिपोर्टिंग: जनता की नाराजगी
भूमिका
Bahraich Violence लखनऊ में न्यूज़ नशा की टीम ने ग्राउंड रिपोर्टिंग की, जहां रिपोर्टर मोहित कुमार ने स्थानीय जनता से बातचीत की। इस रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश के लोगों की नाराजगी और विभिन्न मुद्दों पर उनके विचार सामने आए।
Yogi सरकार की नाकामी
नाराजगी का इजहार
Bahraich Violence एक स्थानीय निवासी ने नाराजगी जताते हुए कहा कि टीवी चैनल योगी सरकार में हो रही घटनाओं को क्यों नहीं दिखा रहे हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि जब अखिलेश यादव की सरकार थी, तब कोई घटना होती थी, तो उसे बड़े पैमाने पर दिखाया जाता था।
Bahraich Violence सुरक्षा की कमी
दूसरे व्यक्ति ने कहा कि हाल ही में हुई एक घटना में सुरक्षा का इंतजाम क्यों नहीं किया गया? जब जन शौभायात्रा निकाली जा रही थी, तब पुलिस की व्यवस्था कहां थी? उन्होंने यह भी पूछा कि योगी जी हमेशा कहते हैं कि उनकी सरकार में कोई घटना नहीं होने दी जाएगी, तो फिर यह क्या है?
राजनीति और लाशों का KHEL
राजनीतिक स्वार्थ
एक व्यक्ति ने कहा कि उत्तर प्रदेश में चुनाव नजदीक हैं, और इस दौरान राजनीतिक लोग लाशों पर राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब हिन्दू-मुसलिम कार्ड खेलकर किया जा रहा है।
राम राज्य का सवाल
उन्होंने सवाल किया कि क्या यह राम राज्य है, जहां शांति और भाईचारा नहीं है? उन्होंने पूरे देश की जनता के इस मामले में चिंता जताई कि कैसे ऐसी बड़ी घटनाएं हो गईं।
Yogi का रवैया ,योगी सरकार की जिम्मेदारी
आधिकारिक दौरा
एक नागरिक ने कहा कि जब राम गोपाल की मृत्यु की खबर आई, तो योगी जी को तुरंत वहां जाकर हालात का जायजा लेना चाहिए था। लेकिन वह क्या कर रहे थे? यह गंभीर सवाल है।
महौल का बिगड़ना
उन्होंने बताया कि पूरे देश का माहौल खराब हो रहा है। एक अन्य नागरिक ने कहा कि भ्रष्टाचार काफी बढ़ गया है, और इसकी मिसाल देते हुए बताया कि किस तरह नेता बड़ी गाड़ियों में घूमते हैं, जबकि आम आदमी के पास एक भी गाड़ी का ठीक से बीमा नहीं होता।
खून पीने वाली FORTUNER ,हरिशचंद्र की औलादें
विभिन्न उदाहरण
एक व्यक्ति ने बताया कि कई नेता लाखों कमा रहे हैं, लेकिन उनके पास कई गाड़ियाँ हैं। यह कैसे संभव है? उन्होंने पूछा कि यह गाड़ियाँ आम नहीं होतीं, बल्कि महंगी होती हैं।
सच्चाई का चेहरा
एक व्यक्ति ने कहा कि नेता अपने आपको हरिशचंद्र की औलाद बताते हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि वे आम जनता की समस्याओं की अनदेखी कर रहे हैं। क्या यह सच में न्याय का पालन है? क्या ये लोग जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं, या सिर्फ अपने फायदे के लिए?
एक और नागरिक ने कहा कि नेता महंगी फॉर्च्यूनर गाड़ियों में घूमते हैं, जो भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गई हैं। ये गाड़ियाँ आम जनता के खून से चलती हैं। उन्होंने यह भी सवाल किया कि जब एक आम आदमी अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है, तब ये नेता किस तरह से आलीशान जिंदगी जी रहे हैं?
सामान्य जनजीवन
उन्होंने और भी गंभीर सवाल उठाए कि जिन लोगों के पास गाड़ियाँ हैं, वे कैसे जीवन यापन कर रहे हैं? उन्होंने पूछा कि यह सभी आम नागरिक कैसे जीते हैं।
राम नगरी की सच्चाई , दोष किसका?
सत्ता की जिम्मेदारी
जब लोगों से पूछा गया कि दोषी कौन है, तो अधिकांश ने कहा कि जो सत्ता में है, वही दोषी है।लोगों ने पूछा कि क्या यह राम नगरी है, जहां शांति और भाईचारे का अभाव है? रामराज्य की परिकल्पना में ऐसी हिंसा और नफरत की कोई जगह नहीं होनी चाहिए। समाज को एकजुट होकर प्रेम और शांति की दिशा में बढ़ना चाहिए, न कि धर्म और जाति के नाम पर बंटने की।
ईश्वर की दृष्टि
एक व्यक्ति ने यह भी कहा कि योगी जी को ऊपर जाकर पता चलेगा कि उन्हें भगवान कितने अंक देंगे।
धार्मिक असहिष्णुता
धर्म के नाम पर नफरत
एक अन्य व्यक्ति ने कहा कि जिस मुस्लिम को कुरान में इमाम नहीं मिला, और हिन्दू को गीता में भगवान नहीं मिला, उस इंसान को भगवान कैसे मिलेगा? उन्होंने यह भी कहा कि लोग एक-दूसरे को लड़ाने की राजनीति कर रहे हैं।
बेरोजगारी का मुद्दा
नौकरियों का अभाव
एक नागरिक ने बताया कि इस वक्त बेरोजगारी बढ़ रही है, लेकिन इस पर कोई बात नहीं हो रही है। सभी लोग केवल हिन्दू-मुसलिम की राजनीति कर रहे हैं।
समाज में एकता
उन्होंने कहा कि समाज में सभी धर्मों के लोग एक साथ बैठकर शराब पीते हैं, और वहां उनकी जाति नहीं पूछी जाती।
अंत में
आवश्यकता संवाद की
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश की जनता योगी सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार को लेकर चिंतित है। समाज में भाईचारे और रोजगार जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा की आवश्यकता है।
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राजनीतिक परिदृश्य
लोगों का यह मानना है कि वर्तमान राजनीतिक माहौल केवल नफरत और असहिष्णुता को बढ़ा रहा है, जबकि समाज में शांति और प्रेम की आवश्यकता है।
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लखनऊ की इस ग्राउंड रिपोर्ट से यह स्पष्ट होता है कि जनता की आवाज़ को सुनना और समझना बेहद आवश्यक है, ताकि उनकी चिंताओं का समाधान किया जा सके और समाज में बेहतर माहौल बनाया जा सके।