आजम खान को जेल गये आज पूरे हुए एक साल , जानिए कब तक रहेंगे सलाखों के पीछे
लखनऊ, समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और रामपुर से सांसद आजम खान को जेल गये शुक्रवार को एक साल पूरा हो गया है. वैसे तो उनके साथ ही जेल गयीं उनकी विधायक पत्नी को कुछ दिनों पहले ही जमानत मिल गयी थी. लेकिन, आजम खान और अब्दुल्ला आजम का इंतजार लम्बा होता जा रहा है. आजम के ऊपर 80 से ज्यादा मुकदमें दर्ज है. जबकि अब्दुल्ला के ऊपर 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं. इनमें से अब सिर्फ तीन में ही उन्हें जमानत मिलनी बाकी है.
बता दें कि रामपुर जेल में 26 फरवरी 2020 को आजम खान, उनकी पत्नी तजीन फात्मा और बेटे अब्दुल्ला आजम ने रामपुर की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. तीनों के ऊपर दस्तावेजों में हेराफेरी करके फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने का साल 2019 में मुकदमा दर्ज हुआ था. इस मुकदमे में अदालत द्वारा बार-बार बुलाने के बावजूद वे हाजिर नहीं हो रहे थे. लिहाजा कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिया. NBW जारी होने के बाद तीनों ने अदालत में आत्मसमर्पण किया और जमानत मांगी लेकिन, अदालत ने उन्हें रामपुर की जिला जेल भेज दिया.
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27 फरवरी की भोर में ही तीनों को सीतापुर जेल में शिफ्ट किया गया. जिला प्रशासन को आशंका थी कि स्थिति बिगड़ सकती है. लिहाजा उन्हें भोर होते-होते रामपुर से सीतापुर जेल शिफ्ट कर दिया गया. हालांकि ये भी कहा जाता है कि सरकार को किसी दूसरे कारण से भी खुन्नस हुई थी. जब आजम खान को रामपुर जेल भेजा गया था तब उनका जेल के गेट पर जबरदस्त रौला दिखा था. जेल के मेन गेट का बड़ा दरवाजा उनके लिए खोला गया था.
तजीन फात्मा को मिली जमानत
वे उस छोटे गेट से झुककर अंदर नहीं गये थे जिससे होकर बाकी कैदी जेल जाते हैं. कुछ दिनों पहले दिसंबर में उनकी पत्नी और रामपुर सदर से सपा विधायक तजीन फात्मा को जमानत मिल गयी थी. वे बाहर हैं लेकिन, आजम खान और उनके बेटे को अभी जमानत का इंतजार है. वहीं आजम खान और अब्दुल्ला आज़म को अब सिर्फ तीन मामलों में ही बेल मिलनी बाकी है. यदि अदालत से उन्हें इन मामलों में बेल मिल गयी और फिर से कोई नया मुकदमा दर्ज न हुआ तो शायद दोनों बाहर आ सकें.
भाजपा नेता ने दर्ज कराई थी शिकायत
आजम खान, तजीन फात्मा और अब्दुल्ला आजम को जेल जाना पड़ा तो इसके पीछे उस मुकदमे की अहम भूमिका है, जिसे भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने साल 2019 में दर्ज करवाया था. ये मामला फर्जी पैन कार्ड और पासपोर्ट बनवाने का है. इसके आधार पर फर्जी जन्मप्रमाण पत्र बनवाया गया था. 2017 के चुनाव में जब अब्दुल्ला आजम चुनाव लड़े थे तब उनकी उम्र 25 साल से कम पाई गई. इसी आधार पर अब्दुल्ला आजम की विधायकी रद्द कर दी गयी और अब दोनों को जमानत भी नहीं मिल पा रही है.