अस्थमा के मरीज भूलकर भी न खाएं 5 तरह के फूड्स…

आज 2 मई को ‘विश्व अस्थमा दिवस’ मनाया जाता है। यह दिन अस्थमा रोग के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए समर्पित है। अस्थमा सांस की नली और फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी है, जिसमें कई बार सही समय पर मरीज को इलाज ना मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है। यह रोग बच्चों से लेकर वयस्कों को कभी भी हो सकता है। अस्थमा के मरीजों को खान पान में विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है।

अस्थमा एक लंबे समय तक चलने वाली सूजन संबंधी बीमारी है,जो फेफड़ों के वायुमार्ग को प्रभावित करती है। अस्थमा में व्यक्ति को खांसी, सांस लेने में समस्या, घरघराहट, सीने में जकड़न जैसे लक्षण नजर आते हैं। कुछ उपायों को अपनाकर अस्थमा के लक्षणों को ट्रिगर होने से कंट्रोल किया जा सकता है। दमा के कुछ मरीजों में कुछ फूड एलर्जिक होते इसलिए उन्हें यह फूड नहीं खाना चाहिए। आइए आज हम आपको बताते हैं कि अस्थमा के मरीजों को क्या खाने से बचना चाहिए।

कॉफी

कुछ लोगों का इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। ऐसे दमा के मरीजों को कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। क्योंकि कॉफी में मौजूद कैफीन एसिड रिफलेक्स को बढ़ा देती है। वहीं दमा के कुछ मरीजों में कॉफी का सेवन करने से फूड प्वाइजनिंग हो सकता है। अस्थमा के मरीजों को कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए।

शराब और अचार

अस्थमा के मरीजों को शराब और अचार का सेवन नहीं करना चाहिए। अचार और शराब को प्रिजर्व करके रखा जाता है। इसमें सोडियम सल्फेट की मात्रा बढ़ जाती है। ये दोनों चीजें अस्थमा के लक्षण को कई गुना बढ़ा देती है। परिरक्षक के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले सल्फाइट शराब, सूखे मेवे, अचार, ताजे और जमे हुए झींगा और कुछ अन्य खाद्य पदार्थों का सेवन दमा के मरीजों के लिए दुश्मन की तरह काम करता है।

सोया
सोया और सोया से बने फूड आइटम भी दमा के मरीजों को नुकसान पहुंचा सकता है। खासकर जिस सोया को फ्रीज में रखा जाता है। वहीं फ्रीज में रखी चीजों को भी तुरंत खाने से दमा के मरीजों को परहेज करना चाहिए।

पैकेटबंद फूड
पैकेटबंद फूड को प्रिजर्व करने के लिए कई तरह के केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। ये फूड दमा के मरीजों के लिए दुश्मन की तरह है। वहीं जिस फूड आइटम में पोटैशियम बायसल्फेट, सोडियम सल्फेट, पोटैशियम मेटाबायसल्फेट आदि का इस्तेमाल किया जाता है, उन चीजों से भी दूरी बना लेनी चाहिए।

मूंगफली

दमा के मरीजों को मूंगफली भी नहीं खाना चाहिए. इससे एलर्जी हो सकती है. हालांकि दमा के सभी मरीजों में ऐसा हो, जरूरी नहीं।

अस्‍थमा दिवस का इतिहास

1998 से ही विश्व अस्थमा दिवस 35 से अधिक देशों में मनाया जा रहा है। इसी साल इसका उद्धाटन बार्सिलोना, स्पेन में विश्व अस्थमा बैठक के साथ किया गया था। तब से इस दिशा में दुनियाभर में सांस से जुड़ी बीमारियों को लेकर जागरूकता बढ़ाने और अस्थमा के बारे में शिक्षा फैलाने के लिए काम किया जा रहा है।

Related Articles

Back to top button