ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड को इतने करोड़ रुपये की सहायता
नयी दिल्ली. ब्रह्मपुत्र वैली फर्टिलाइजर्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (बीवीएफसीएल), नामरूप (असम) को यूरिया निर्माण इकाइयों के संचालन के लिए 100 करोड़ रुपये की अनुदान सहायता दी जायेगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने इस आशय के उर्वरक विभाग के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी।
बीवीएफसीएल, नामरूप सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम है जो कंपनी अधिनियम के अनुसार केन्द्र सरकार के उर्वरक विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत बनाया गया है।
अभी यह कंपनी असम के नामरूप में बीवीएफसीएल के परिसर में अपने दो पुराने संयंत्रों नामरूप-2 और नामरूप-3 का संचालन कर रही है। देश की पहली गैस आधारित यूरिया विनिर्माण इकाई होने एवं सभी बुनियादी ढांचे और फीडस्टॉक की उपलब्धता के बावजूद पुरानी और अप्रचलित प्रौद्योगिकी के कारण इस कंपनी के लिए प्रभावी तरीके से मौजूदा इकाइयों से समुचित उत्पादन स्तर बनाए रखना मुश्किल हो रहा है।
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संयंत्रों के सुरक्षित, टिकाऊ और आर्थिक संचालन को सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपकरणों और मशीनों को ओवरहाल किए जाने की आवश्यकता है। मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल, इंस्ट्रूमेंटेशन और उत्प्रेरक वस्तुओं आदि की खरीद के साथ संयंत्रों के सुचारू संचालन के लिए किए जाने वाली न्यूनतम कार्यात्मक मरम्मत पर 100 करोड़ रुपये का अनुमानित व्यय होगा और इसलिए सरकार ने बीवीएफसीएल को 100 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की।
देश के पूर्वोत्तर भाग में स्थित यह उपक्रम इस क्षेत्र में आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीवीएफसीएल को मिली 100 करोड़ रुपये की सहायता से प्रतिवर्ष 3.90 लाख टन यूरिया उत्पादन क्षमता बहाल होगी और पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र विशेषकर असम में चाय उद्योग तथा कृषि क्षेत्र को यूरिया की समय पर उपलब्धता सुनिश्चित होगी । इससे करीब 580 कर्मचारियों का स्थायी आधार पर और अन्य 1500 व्यक्तियों का मौजूदा रोजगार भी तदर्थ आधार पर जारी रहेगा। इसके अलावा इस प्रतिष्ठान द्वारा 28000 लोगों को सीधे लाभ मिलता है। इससे सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ को भी मजबूती मिलेगी ।