विधानसभा उपाध्यक्ष चुनाव: 2022 की तैयारियों में जुटी बीजेपी, सपा ने भी चला पिछड़ा कार्ड
लखनऊ. 2022 की चुनावी (UP Assembly Election 2022) तैयारियों के बीच उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष (Assembly Deputy Speaker) का चुनाव 14 सालों बाद हो रहा है. इससे पहले बीजेपी के राजेश अग्रवाल को इस पद के लिए जुलाई 2004 में निर्विरोध चुना गया था और उनका कार्यकाल मई 2007 तक था. इसके बाद, विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ था. प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के अनुसार उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद के चुनाव के लिए मतदान सोमवार को दिन में 11 बजे से दोपहर तीन बजे तक विधान भवन में होगा. विधानसभा में वर्तमान समय में बीजेपी के 304, समाजवादी पार्टी के 49, बहुजन समाज पार्टी के के 16, अपना दल के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार, निर्दलीय तीन, असंबद्ध सदस्य दो और राष्ट्रीय लोकदल तथा निषाद पार्टी के एक-एक विधायक हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में नितिन अग्रवाल ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया. समाजवादी पार्टी के नरेन्द्र वर्मा ने विधान भवन के राजर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन सभागार में विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए नामांकन किया. गौरतलब है कि विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने पिछले दिनों सपा विधायक नितिन अग्रवाल के खिलाफ पेश दलबदल याचिका खारिज कर दी थी.
ये है बीजेपी और सपा की रणनीति
बीजेपी की रणनीति के अनुसार नरेश अग्रवाल प्रदेश में वैश्य समाज के कद्दावर नेता माने जाते हैं. पूर्व वित्त मंत्री राजेश अग्रवाल को योगी मंत्रिमंडल से हटाकर पार्टी का राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बनाया गया है. ऐसे में नितिन को उपाध्यक्ष बनाने से वैश्य वर्ग में अच्छा संदेश तो जाएगा ही, साथ ही पार्टी को वैश्य वर्ग में युवा चेहरा भी मिलेगा. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी राजनीति करने में पीछे नहीं है. सपा बीजेपी को घेरने की रणनीति पर काम कर रही है और इस चुनाव को फॉरवर्ड बनाम बैकवर्ड बनाने की तैयारी में है. सपा इस चुनाव के जरिए पिछड़ी जातियों को संदेश देना चाहती है कि बीजेपी पिछड़े वर्ग को तवज्जो नहीं दे रही है, जबकि उसने पिछड़े वर्ग से प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. पिछड़ा वर्ग के पुराने दिग्गज नेता और सीतापुर की महमूदाबाद सीट से विधायक नरेंद्र वर्मा को सपा ने मैदान में उतारा है.