असम में आई NRC लिस्ट, 19 लाख लोग हुए बाहर, पर अभी हिरासत नहीं

असम में चल रही नागरिकता को लेकर जद्दोजहद आज एक मोड़ पर आ पहुंची है। शनिवार को दोपहर 1 बजे गृह मंत्रालय ने असम एनआरसी की फाइनल लिस्ट की सूची जारी की। राज्य में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था के लिए 51 कंपनियां तैनात की गई हैं। जारी हुई फाइनल लिस्ट में तकरीबन 19 लाख लोगों का नाम नहीं था। इसकी वजह से लोगों में निराशा का माहौल है।

एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने बताया कि एनआरसी की इस फाइनल लिस्ट में 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार लोगों को जगह मिली है जबकि 19 लाख 6 हज़ार 657 लोग इससे बाहर हैं। वहीँ जो लोग इस लिस्ट से संतुष्ट नहीं हैं, उनके लिए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल(Sarbananda Sonowal) ने कहा है कि जिन लोगों का नाम लिस्ट में शामिल नहीं होगा, वे फॉरनर्स ट्रिब्यूनल में 120 दिनों के भीतर अप्लाई कर सकते हैं। उन्होंने लोगों को आश्वासन दिलाया है कि लिस्ट से हुए किसी व्यक्ति के साथ कोई उत्पीड़न नहीं होगा। राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की अंतिम लिस्ट से असंतुष्ट लोगों को याचिका को सुनने के लिए असम सरकार राज्य में 400 विदेशी न्यायाधिकरणों की स्थापना करेगी। गृह राजनीति के अतिरिक्त मुख्य सचिव कुमार संजय कृष्ण ने कहा कि 200 ऐसे न्यायाधिकरण स्थापित करने के लिए प्रक्रिया पहले से ही है। विदेशियों के न्यायाधिकरणों को एनआरसी से बाहर रखे गए लोगों की अपील सुनने के लिए फॉरनर्स ट्रिब्यूनल-अर्ध न्यायिक अदालतें हैं।

फॉरनर्स ट्रिब्यूनल होगा सहारा 

जो नाम लिस्ट में शामिल नहीं हैं उन्हें अभी भी हिरासत में लिए जाने की अनुमति नहीं है। कुमार संजय कृष्णा ने कहा है कि, ‘ये ट्रिब्यूनल याचिका दायर करने और सुनवाई को बिना किसी व्यवधान के सुनिश्चित करने के लिए सुविधाजनक स्थानों पर स्थापित किए जाएंगे।’ उन्होंने कहा,’एनआरसी की अंतिम सूची से निकाले गए लोगों को तब तक हिरासत में नहीं लिया जा सकता, जब तक फॉरनर्स ट्रिब्यूनल अपना फैसला नहीं सुना देते।’ वहीँ एफटी के फैसले से संतुष्ट न होने पर ये लोग उच्च अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार भी एनआरसी सूची से निकाले गए लोगों को जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएलएसए) के माध्यम से कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए सभी जरूरी बंदोबस्त करेगी। गौरतलब है कि NRC लिस्ट के लिए 3 करोड़ 30 लाख लोगों ने आवेदन किया था, जिसमें से 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों की नागरिकता साबित हो गई है। लिस्ट में नागरिकता साबित न होने वालों में से कई लोगों को पहले से इसका अंदाज़ा था।

मनमोहन सिंह की अगुआई में हुई शुरुआत

दरअसल इसकी शुरुआत साल 2005 में हुई थी जब पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगुआई में केंद्र सरकार, असम सरकार और ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (AASU) के बीच त्रिपक्षीय बैठक हुई थी। उसमे तय किया गया था कि असम समझौते में किए गए वादों को पूरा करने के लिए NRC को अपडेट करने की दिशा में कदम उठाए जाने चाहिए। इसके लिए तौर-तरीकों को केंद्र ने असम सरकार की सलाह से स्वीकार किया। इससे पहले असम की पहली NRC लिस्ट 1951 में जारी हुई थी। जुलाई 1951 में जारी लिस्ट में 40.7 लाख लोगों को बाहर रखा गया था।

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