भूखे मुसलमानों को खाना खिलाने वाले सिक्खों पर इस्लामी स्टेट का हमला
दुनिया में भारत हिंदू-मुसलमान की एकता की मिसाल रहा। देश की आजादी के फौरन बाद नफरत के बंटवारे ने बहुत नफरत घोली। फिर भी कड़वा इतिहास भूल कर भारतीय हिंदू-मुसलमान एकजुट होकर दुनिया के सामने दो धर्मों के बीच सौहार्द की मिसाल क़ायम करते रहे।
फिर तालिबान और इस्लामिक स्टेट जैसे संगठन पैदा हुए जिनके ज़ुल्म ने हिंदुओं के मन में मुसलमानों के प्रति नफरत पैदा करने के प्रयास शुरु कर दिए। आग में घी का काम किया भारतीय राजनीति के राजनीतिक दलों ने। नफरत की सियासत ने सौहार्द के पैरोकार सनातन धर्म के मानने वालों के कोमल मन को दूसरे धर्म के प्रति कठोर बनाने के प्रयास शुरु कर दिए।
इधर सिक्ख धर्म की मानवतावादी जनसेवा जारी है। एक साजिश के तहत कट्टरता के लिए दुनियां में बदनाम किये जा रहे मुसलमान जहां भी मुसीबत मे हुए,भूखे हुए या शरणार्थियों की सूरत में भटकते दिखाई दिये, ऐसे में सिक्खों के जत्थे परेशान मुसलमानों को खाना खिलाने पंहुच गये। सिक्ख भाई मुसलमानों की मदद के लिए हाथ बढ़ाते लगातार देखे गये।
बस यही बात इस्लामी स्टेट और तालिबान जैसे संगठनों को नही पसंद आ रही है। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में आतंकियों ने बुधवार को एक गुरुद्वारे को निशाना बनाया। फिदायीन हमला सुबह 7.30 बजे हुआ, तब यहां सिख समुदाय के सैकड़ों लोग प्रार्थना के लिए जुटे थे। धमाके में 27 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। 8 से ज्यादा घायलों को अस्पताल में भर्ती किया गया है। 40 से ज्यादा श्रद्धालु फंसे हैं। इस्लामिक स्टेट ने हमले की जिम्मेदारी ली है। इस तरह सिक्ख भाईयों के मन में मुसलमानों के प्रति दुर्भावना पैदा करने का सिलसिला तेज हो गया है। गोयाकि जरुरतमंद मुसलमानों को सिक्ख भले ही खाना खिलायें तब भी इसानियत पसंद सिक्खों पर फिदा होने के बजाय दुनिया के सिक्खों पर फिदायीन हमले ही होंगे।