आप तो ऐसे न थे……
– देश की आजादी के बाद सबसे निचले पायदान पर पहुची जीडीपी -23.9 प्रतिशत के पीछे कोरोना काल को बताया जा रहा है मुख्य कारण
– 2014 से केंद्र में काबिज हुई सरकार चला रही है एक सूत्रीय कार्यक्रम सरकारी संस्थानों का किया जा रहा है निजीकरण
– करोड़ों लोगों पर गिर चुकी है बेरोजगारी की गाज विकासवादी नीतियों को दरकिनार कर लिया जा रहा है राम के नाम का सहारा
– धर्म और जाति के नाम पर टुकड़ों में बटा नजर आ रहा है आज का हिंदुस्तान सोशल मीडिया के सहारे फैलाई जा रही है खुलेआम नफरत
– विकास बेरोजगारी शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम मुद्दों पर नही की जा रही है चाय पर चर्चा खबरों के नाम पर मीडया संस्थान बांट रहें हैं मुंगेरीलाल के हसीन सपने
महोबा : 200 वर्ष अंग्रेजों की गुलामी करने के बाद 15 अगस्त 1947 को आजाद होने वाला हिंदुस्तान बेरोजगारी बढ़ती महंगाई और दिन ब दिन निचले पायदान पर पहुचती अर्थव्यवस्था से घिरा नजर आ रहा है तो वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार अभी भी यह मानने को कतई तैयार नही है की देश संकट में है । राम के नाम को हथियार बनाकर और विकास के अनगिनत वादों के साथ आई बीजेपी सरकार में महंगाई की मार आवाम के ऊपर साफ तौर पर पड़ती नजर आ रही है। बेरोजगारी अपने चरम पर जा पहुची है तो वहीं करोड़ों लोगों के बेरोजगार होने के पीछे कोरोना काल को दोष देकर उठ रहे सवालों को दबाने की नाकाम कोशिश की जा रही है ।
आजाद भारत पर धर्म और जाति ने कब्जा कर लिया है। राम और रहमान से सुरु होने वाली राजनीति अब भिन्न-भिन्न जातियों में अपना वर्चस्व कायम करती हुई प्रतीत हो रही है । इन सब के पीछे युवा वर्ग को एक अघोषित हथियार के रूप में उपयोग में लाया जा रहा है तो वहीं शोशल मीडिया को आत्मघाती बनाने की पाठशाला में रूपांतरित किया जा रहा है । नफरत के जहर से सराबोर संदेशों को ठीक उसी तरह फैलाया जा रहा है जैसे कि जंग के मैदान पर प्राणघातक शस्त्रों का प्रयोग किया जाता है। विकास के नाम पर तथाकथित राम राज्य में न कोई अब चाय पर चर्चा करना चाहता है और न कोई सुनना। बुद्धिजीवियों की अगर माने तो अच्छे दिन आने से पहले ही नदारत हो चुके हैं न तो अब कोई खद्दरधारी इस अति संवेदनशील चुनावी जुमले पर अपने विचार रखता है और न ही कोई घोषणा हाल फिलहाल इसपर की या कराई जा रही है।
शिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी पलायन और अर्थव्यवस्था को दरकिनार कर राम मंदिर गौमाता पाकिस्तान और समुद्र में दफन हो जाएगा ड्रैगन जैसे पाठ्यक्रम का प्रसारण दिन दोपहर तथाकथित न्यूज चैनलों पर प्रसारित किया जा रहा है । मोदी जी के मोरों को जितनी शिद्दत के साथ इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में दिखाया गया है इस भक्ति भावना की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतनी ही कम नजर होती है । कुल मिलाकर अगर कहें तो तथाकथित राम राज्य आ चुका भृष्टाचार बेरोजगारी गरीबी पूर्ण रूप से इसी बीजेपी सरकार में नदारत हो चुकी है तो वहीं दूसरी तरफ आप तो ऐसे न थे जैसे सवालों का पूछा जाना भी जायज माना जा रहा है ।