श्रीकृष्ण जन्मस्थान की सतरंगी होली को देख कला प्रेमी हुए आनन्दित

श्रीकृष्ण जन्मस्थान की केशव वाटिका में मौजूद हजारों कला प्रेमी ब्रज की विभिन्न प्रकार की होली का भावपूर्ण प्रस्तुतीकरण देखकर भले ही आनन्दित हो उठे लेकिन होली के मंचीय कार्यक्रम में कोविड-19 के नियमों की अनदेखी नजर आई है,इस संबंध में सीएमओ ने कहा कि यह बात उनकी जानकारी में आई है और इसको वे देखेंगी।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान की होली ब्रजभूमि की अन्य होलियों से इसलिए अलग है, यहां की होली में ब्रज में होने वाली विभिन्न प्रकार की होलियों का प्रस्तुतीकरण किया जाता है जिसके कारण यहां आनेवाले श्रद्धालु कम समय में विभिन्न होलियों को देख लेते हैं। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि पहली बार केशववाटिका में रावल की लठामार होली खेली गई।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर खेली जानेवाली रावल की लठामार होली बरसाना और नन्दगांव की लठामार होली से अलग है। इसमें गोपियां न केवल लाठी से ही पिटाई करती हैं बल्कि गोप भी लाठी से ही गोपियों के प्रहार को झेलते हैं। जहां बरसाने की गोपियां अपने ऊपर रंग और गुलाल डालने से रोकने के लिए गोपों की पिटाई करती हैं ,वहीं रावल की गोपियां अकारण भी किसी गोप की पिटाई करती हैं। यहां की लठामार होली में आज दर्शकों का मनोरंजन उस समय अधिक हुआ जब वर्दीधारी पुलिसकर्मी गोपियों के लाठी के प्रहार से बचने के लिए भाग रहा था और गोपियां उसका पीछा कर रही थी।इस होली में गोपियों का जोश देखते ही बनता था।
श्रीकृष्ण जन्मस्थान की होली अनूठी और भावमय है। लठामार होली शुरू होने के पहले चरकुला नृत्य समेत विभिन्न प्रकार के नृत्य, ब्रज का मशहूर मयूर नृत्य, आदि के माध्यम से होली का जब मंचीय प्रस्तुतीकरण हुआ तो दर्शकों ने प्रिया प्रियतम की साक्षात होली लीला की न केवल अनुभूति की बल्कि इनके मंचन को देखकर स्वय को धन्य किया।मंचीय कार्यक्रम का समापन जब श्यामाश्याम की फूलों की होली से हुआ तो दर्शकों को कुछ क्षण के लिए यह अनुभूति हुई कि ठाकुर की कृपा की वर्षा उन पर भी हो रही है। फूलों की होली के समापन पर श्यामसुन्दर ने मंच से नीचे जाकर लोगों पर पुष्प वर्षा कर उन्हें धन्य किया।
जन्मस्थान की लठामार होली का समापन सूर्यास्त के साथ ही नन्द के लाला एवं राधारानी के जयकारों के साथ जब समाप्त हुआ तो ऐसा लग रहा था कि दर्शक कार्यक्रम की सुन्दरता से अभिभूत थे।

 

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