राजस्थान के रणथम्भौर की विख्यात बाघिन मछली की नातिन ऐरोहेड ने दिया 2 शावकों को जन्म
जयपुर. सवाई माधोपुर जिले में स्थित रणथम्भौर टाइगर रिजर्व (Ranthambore Tiger Reserve) से एक फिर खुशखबरी आई है. यहां जूनियर मछली ने नाम जानी जाने वाली बाघिन T-84 उर्फ ऐरोहेड (Tigress T-84 aka Arrowhead) ने 2 शावकों को जन्म दिया है. इससे रणथंभौर में बाघों का कुनबा और बढ़ गया है. इस खुशखबरी की पुष्टि मंगलवार शाम को उस समय हुई जब कैमरा ट्रैप में बाघिन का शावकों (Cubs) के साथ फोटो नजर आया. इस बाघिन की चाल ढाल और शारीरिक बदलाव की वजह से काफी समय से ऐसा माना जा रहा था कि ये शावकों को या जन्म दे चुकी है या फिर जन्म देने वाली है. प्रदेश में बाघों की लगातार बढ़ती संख्या से वन्यजीव प्रेमी और वन विभाग में खुशी की लहर है.
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार दो दिन पहले ही बाघिन ऐरोहेड के शरीर में स्तन काफी भारी नजर आये थे. उनमें दूध भी भरा नजर आया था. तब ये साफ हो गया था कि बाघिन ने शावकों को जन्म दे दिया है. लेकिन कितने शावकों को जन्म दिया इस बात की पुष्टि मंगलवार को कैमरा ट्रैप से हुई. अभी बाघिन के साथ दो शावक नजर आये हैं. बाघिन का यह फोटो कामलधार इलाके में ट्रेप हुआ है. इन शावकों की संख्या और ज्यादा भी हो सकती है.
रणथंभौर के उपवन संरक्षक महेंद्र शर्मा ने बताया कि अब रणथम्भौर में बाघों की संख्या 70 हो गयी है. यहां अभी बाघिनों के साथ कई नए जन्मे शावक भी हैं और कई बाघिन उम्मीद से भी हैं. वे भी जल्दी ही शावकों को जन्म देंगी. मानसून के महीने में मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक एमएल मीना ने गहन मॉनिटरिंग और शावकों की सुरक्षा के निर्देश दिए हैं. इसलिए बाघिन के इलाके में निगरानी के लिए अतिरिक्त कैमरे ट्रैप लगा दिए गए हैं. एक विशेष टीम को भी बाघिन की गहन ट्रेकिंग के लिए लगाया है.
राजस्थान में चार टाइगर रिजर्व हो गये हैं
उल्लेखनीय है कि राजस्थान में रणथम्भौर और अलवर के सरिस्का के बाद कोटा में मुकुंदरा के जगलों में तीसरा नया टाइगर रिजर्व बनाया गया था. उसके बाद प्रदेश में अब बूंदी जिले के रामगढ़ अभ्यारण्य को भी टाइगर रिजर्व का दर्जा दे दिया गया है. इससे राजस्थान में अब चार टाइगर रिजर्व हो गये हैं.