खेल में भी सेना का पराक्रम
अंग्रेजों ने 121 साल पहले जीता था गोल्ड, सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने भाले से ब्रिटिश काल का अध्याय बंद किया
भारत के जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा ने ओलिंपिक एथलेटिक्स में देश के लिए पहली बार गोल्ड मेडल जीता है। इस जीत के साथ ही सेना के इस सूबेदार ने अंग्रेजी हुकूमत के एक अध्याय को समाप्त कर दिया है।
दरअसल, भारत पर जब ब्रिटिश हुकूमत का शासन था, तब ब्रिटिश इंडिया की तरफ से खेलते हुए नॉर्मन प्रिटचार्ड ने साल 1900 में हुए ओलिंपिक एथलेटिक्स में दो मेडल जीते थे। तब से एथलेटिक्स में पहले मेडल को लेकर जब भी चर्चा होती थी, तो ब्रिटिश सरकार के इस खिलाड़ी का ही नाम सामने आता था।
लेकिन 7 अगस्त 2021 को 22 साल के सेना के सूबेदार नीरज चोपड़ा ने भाले के दम पर इस ब्रिटिश अध्याय को हमेशा के लिए बंद कर दिया है। अब देश के लोग गौरव के साथ ओलिंपिक एथलेटिक्स में इस गोल्ड मेडलिस्ट का नाम लेंगे।
बता दें कि नीरज सेना के 4 राजपूताना राइफल्स रेजीमेंट में सूबेदार हैं। शनिवार को जब नीरज ने देश के गले में सोने का मेडल डाला तो उनके रेजीमेंट के साथियों ने भी खूब जश्न मनाया। दिल्ली में राजपूताना राइफल्स के जवानों ने नीरज की गोल्डन जीत पर भारत माता, इंडियन आर्मी और इस खिलाड़ी के जयकारे लगाए। इसके बाद जवानों ने रेजीमेंटल सॉन्ग भी गाया।
मिल्खा, मेजर ध्यानचंद से लेकर राज्यवर्धन सिंह, विजय और अब नीरज
देश का मस्तक ऊंचा रखने में सेना का हमेशा से अभूतपूर्व योगदान रहा है। देश की सुरक्षा हो, प्राकृतिक आपदा हो या फिर खेल, सेना ने हर जगह अपना परचम लहराया और देश को गौरवान्वित किया है। नीरज चोपड़ा से पहले 2004 एथेंस ओलिंपिक में राज्यवर्धन सिंह राठौर ने शूटिंग में सिल्वर जीता था।
2012 लंदन ओलिंपिक में भी शूटर विजय कुमार ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था। इससे पहले टीम इवेंट में हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद ने भी देश के लिए तीन बार मेडल जीता था। वे भी सेना से ही थे। इसके अलावा फ्लाइंग जट मिल्खा सिंह भी सेना से ही थे, लेकिन ऑलिंपिक में वे मेडल जीतने में कामयाब नहीं हो सके थे।
नीरज की काबिलियत देख सेना में उन्हें सीधे नायब सूबेदार बनाया गया
नीरज चोपड़ा को 2016 में नायब सूबेदार के पद पर जूनियर कमीशंड ऑफिसर के रूप में चुना गया था। बता दें कि इंडियन आर्मी किसी खिलाड़ी को जवान या नॉन कमीशंड ऑफिसर के पद पर भर्ती करती है, लेकिन नीरज की काबिलियत को देखते हुए उन्हें सीधे नायब सूबेदार के पद पर नियुक्त किया गया था।
बता दें कि राजपूताना राइफल्स भारतीय सेना का सबसे पुराना रेजीमेंट है। इसकी स्थापना 1775 में की गई थी, जब तात्कालिक ईस्ट इंडिया कंपनी ने राजस्थान के राजपूत और जाट लड़ाकों की क्षमता को देखते हुए उन्हें अपने मिशन में भर्ती कर लिया।
रक्षा मंत्री, सीडीएस और सेना प्रमुख ने भी दी बधाई
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नीरज की ऐतिहासिक जीत पर बधाई दी। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘ओलिंपिक में भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक अभूतपूर्व है। इतिहास बनाने के लिए नीरज पर गर्व है। सूबेदार नीरज चोपड़ा की स्वर्णिम जीत ने भारतीय सेना के लिए सम्मान लाया है। ओलिंपिक में एक सच्चे सैनिक की तरह प्रदर्शन किया। इसके साथ ही चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपीन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने भी चोपड़ा को उनकी ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए बधाई दी।